जांजगीर-चाँपा

अगली बार फिर आइयेगा सर, मैं भी….याद करके रखूंगा…

जांजगीर-चांपा ।  हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अच्छा ज्ञान, अच्छी शिक्षा हासिल करें। जिले के कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा भी यहीं चाहते हैं कि स्कूल आने वाले हर विद्यार्थियों को स्कूल में सरकार की मंशानुरूप बेहतर शिक्षा मिले, ताकि वे शिक्षित होकर अपना बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सके। जिले का कोई भी पाठशाला केवल विद्यार्थियों के स्कूल आने-जाने तक सीमित न रह जाए। स्कूल समय पर खुले, यहां समय पर शिक्षक आए, पढ़ाये और विद्यार्थियों को अच्छा ज्ञान मिले, अच्छी शिक्षा मिले यह उनकी प्राथमिकता में है। शायद इसीलिए वे जिले में पदस्थ होते ही लगातार स्कूलों का आकस्मिक निरीक्षण कर रहे हैं और अनुपस्थित शिक्षकों पर कार्यवाही करने के साथ विद्यालय में बच्चों की क्लास लेकर कई रोचक सवाल भी पूछ रहे हैं। सवाल का सही जवाब देने वालों को शाबासी के साथ वे अपना पेन भी दे रहे हैं। वे शिक्षा के महत्व को भी समझा रहे हैं। वे यह भी समझा रहे हैं कि पहले बहुत दूर-दूर तक स्कूल जाना पड़ता था। सुविधाएं नहीं थी। शिक्षकों की कमी थी। अब पहले जैसी ज्यादा समस्याएं नहीं है। इस तरह से कलेक्टर के स्कूल में आने और सवाल पूछने, जवाब देने पर खुद ताली बजाते हुए बच्चों से ताली बजवाने से शिक्षक सहित विद्यार्थियों को भी एक अलग प्रेरणा मिल रही है। कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के एक स्कूल में पहुचने के बाद प्रेरणा देती यह संदेश आप भी जानें….

जांजगीर-चांपा जिले के बम्हनीडीह ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पचोरी के इस सरकारी स्कूल में कक्षा छठवीं में वैसे तो 50 से अधिक बच्चे बैठे थे। अचानक कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा जब यहां पहुचे और बच्चों से पहाड़ा सुनाने को कहा तो कुछ बच्चे झिझक और संकोच की वजह से अपनी बेंच से उठकर खड़े नहीं हो पा रहे थे। कलेक्टर ने एक बच्चे को 13 का पहाड़ा पढ़कर सुनाने कहा तो उसने अपना झिझक तोडते हुए 13 का पहाड़ा पढ़ दिया। कलेक्टर ने इस बार किसी से भी 19 का पहाड़ा पढ़ने को कहा। कलेक्टर के कहने पर जब कोई खड़ा नहीं हो रहा था तब उन्होंने पढ़ने वाले को अपना कलम इनाम देने की बात कही। कुछ ने अपना हाथ ऊपर किया, कुछ ने नहीं…। शायद कलेक्टर की नजर ऐसे विद्यार्थी पर थी जो पहाड़ा पढ़ना जानता है, लेकिन संकोचवश उठकर बोल नहीं पा रहा है। उन्होंने सामने बैठे एक विद्यार्थी सतीश कौशिक से कहा तुम पढ़कर बताओं। सतीश कौशिक ने बिना रूके 19 का पहाड़ा पढ़ दिया। कलेक्टर खुश हुए और ताली बजाते हुए उन्होंने उनका नाम पूछा। कलेक्टर ने विद्यार्थी का पीठ थपथपाते हुए शाबाशी दी और अपने जेब से कलम निकालकर सतीश को दे दिया। इस दौरान कलेक्टर ने बच्चों को बताया कि शिक्षा का जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है। आप रोज स्कूल आयेंगे, अच्छे से पढ़ाई करेंगे तो आप एक दिन बहुत बड़े पद पर पहुचेंगे। आपको पढ़ने के लिए किसी भी कमी से परेशान नहीं होना है। आपकों स्कूल में किताबें दी जा रही है। भोजन भी दिया जा रहा है। किसी को घर में रहकर पढ़ाई करने में समस्या है तो सरकार द्वारा आश्रम और छात्रावास संचालित किया जा रहा है। वहां जाकर पढ़ाई किया जा सकता है। कलेक्टर ने कहा कि आप यदि बहुत अच्छे से पढ़ाई करोगे तो आपके लिए अवसर की कमी नहीं है। इतना कहकर कलेक्टर जब वहां से जाने लगे तब पीछे से एक विद्यार्थी कि आवाज आई…अगली बार फिर आइयेगा सर, मैं भी पहाड़ा याद करके रखूंगा

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