कोरबा/ ट्रैक सिटी न्यूज़। जिले के सीएसईबी कोरबा पश्चिम डंगनियाखार राखड़ बांध के प्रभावित विस्थापितो ने ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले अपने रोजगार, मुआवजा सहित अन्य सुविधाओ की मांग को लेकर राखड़ और मिट्टी पाटने के कार्य को बंद करा दिया है।
ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने बताया कि कोरबा जिला देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला है कोयला खदानों के अलावा विद्युत सयंत्र सहित अन्य संस्थानों के द्वारा जिले के किसानो का केवल दोहन किया है किंतु उनके रोजगार बसाहट मुआवजा के लिए भी तरसाया जा रहा है। अपने प्रभावित क्षेत्र के मूलभूत सुविधाओं से मरहूम रखा गया है। अब ये लड़ाई जिले के हर शोषित तबके तक पहुंचाने का बीड़ा संगठन ने उठाया है।
डंगनियाखार के भू-विस्थापितों ने बताया कि सीएसईबी के हसदेव ताप परियोजना से प्रभावित ग्राम डंगनियाखार के ग्रामवासी पिछले 40 सालो से न्याय पाने के लिए भटक रहे हैं ।लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला।
भू-विस्थापितों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डंगनिया स्थित राखड़ डेम की क्षमता समाप्त हो जाने के कारण ऊपर मिट्टी पाटी जा रही है। जिसमे पौधे लगाने की तैयारी की जा रही है। यहां के सबंधित अधिकारी अपनी मर्जी से नियम विरुद्ध डेम के किनारे राखड़ डम्प करा रहे हैं जिससे वहां खड़े विशालकाय पेड़ भी दब गए हैं जिसपर पर्यावरण मंडल और वनविभाग को कार्यवाही करनी चाहिए। पर ऐसा लगता हैं कि उनकी भी इसमें मौन स्वीकृति है। ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने कहा है कि इसकी शिकायत की जाएगी और उच्च स्तरीय जांच की मांग की जाएगी।
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