इसे छत्तीसगढ़ी में पोरा त्यौहार भी कहते हैं।
भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाए जाने वाला यह एक प्रमुख त्योहार है खरीफ फसल के द्वितीय चरण का कार्य निंदाई गुड़ाई पूरा हो जाने पर मनाया जाता है,तथा हमारे शास्त्र के अनुसार पोला श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं से राक्षस पोलासूर का वध भाद्रपद अमावस्या को कर दिया था इसी कारण से पोला कहा जाने लगा
पोरा तिहार छत्तीसगढ़ की पारम्परिक त्यौहार है जो की आज़ स्कूल मे मनाया गया।
देखा जाये तो आजकल के समय में हमारे परम्परिक खेल कहीं लुप्त होते जा रहे हैं उन्हें सहेज कर रखना अवश्यक है वरना हमारी संस्कृति लुप्त हो जायेगी
वहीं पोला पर्व के अवसर पर जांजगीर-चाम्पा जिले क ग्राम पंचायत बछौद,शा.प्राथमिक शाला स्कूल बछौद में स्कूल के सभी बच्चों द्वारा हमारे छत्तीसगढ़ के सभी पारम्परिक खेलों को खेला गया जैसे खो-खो, कबड्डी, फुगड़ी, बैल गाड़ी का खेल, लट्टू, रस्सी कूद आदि ऐसे सभी खेलों में बच्चों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया राज्यपाल से शिक्षा रत्न से सम्मानित है नरेंद्र लहरे वे आये दिन शिक्षा मे नई नई शिक्षा प्रति नवाचार लाते रहते है एवं बच्चों क़ो खेल मे माध्यम से शिक्षा देते रहते है और स्कुल मे धूमधाम से पोरा पर्व मनाया गया।