Korba

कटघोरा वनमंडल के ग्राम मुंडाली में वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी ने की संयुक्त पहल

* ग्राम मुंडाली में दुर्लभ प्रजाति की मिली एशियन पाम सिवेट
* संयुक्त रूप से किया गया सफल रेस्क्यू ऑपरेशन
कोरबा/ कोरबा जिला जैव विविधता से भरा हुआ है आए दिन दुर्लभ जीव मिलने की खबरें यहाँ सामने आते रहती हैं, इसी कड़ी में कटघोरा वनमंडल अंतर्गत आने वाले हरदीबाजार क्षेत्र के ग्राम मुंडाली में दुर्लभ प्रजाति की एशियन पाम सिवेट का मिला। बताया जा रहा हैं की मानवीय रहवास में धान के कोठी में मादा सीवेट अपने बच्चों के साथ एक घर में रह रही थी। गांव वाले ने जब इस दृश्य को देखा तो उनके लिए यह डर और आश्चर्य का नजारा था। वह अपने बच्चों को छोड़ कर जाना नहीं चाह रही थी।
जिसकी सूचना घर के मालिक केशव जायसवाल द्वारा वन विभाग को दी गयी। वन विभाग एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी की संयुक्त टीम द्वारा एक सुनियोजित और सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए घटना स्थल पहुंची। टीम मौके पर पहुंच पूरी सावधानी एवं मानवीय दृष्टिकोण के साथ सिवेट माता एवं उसके बच्चों को सुरक्षित तरीके से पकड़ा। यह कार्य अत्यंत संवेदनशीलता एवं विशेषज्ञता के साथ संपन्न किया गया ताकि जानवरों को कोई तनाव या हानि न हो। रेस्क्यू के उपरांत मां सिवेट एवं उसके 5 बच्चों को निकटवर्ती सुरक्षित वन क्षेत्र में पुनः प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया, जिससे वे अपने स्वाभाविक आवास में स्वतंत्र रूप से जीवन यापन कर सकें।
यह रेस्क्यु ऑपरेशन कटघोरा वन मंडल के वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत के निर्देशानुसार उप वन मंडलाधिकारी चंद्रकांत के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इस रेस्क्यू कार्य में नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम. सूरज के नेतृत्व में जितेन्द्र सारथी, मयंक बागची एवं बबलू मारुवा, रेंजर अशोक मान्यवर, डिप्टी सुखदेव सिंह मरकाम, महेंद्र देवेंगन, केशव जायसवाल ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
इस पूरे अभियान ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह घटना यह दर्शाती है कि जब प्रशासन, विशेषज्ञ संस्थाएं और स्थानीय समुदाय मिलकर कार्य करते हैं, तो न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना कम होती है, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण को भी मजबूती मिलती है। वन विभाग एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के इस समन्वित प्रयास की स्थानीय ग्रामीणों, पर्यावरण प्रेमियों तथा वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संगठनों द्वारा सराहना की जा रही है। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन ने न केवल एक प्रजाति की रक्षा की, बल्कि भविष्य में ऐसे प्रयासों को प्रेरणा देने वाला कार्य भी किया है।

Editor in chief | Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button