गरियाबंद/ एक जुलाई से देशभर में लागू होने वाले तीन नये कानूनों के संबंध में जानकारी देने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनिकर, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती तजेश्वरी देवांगन एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री प्रशांत देवांगन ने आईपीसी 1860, सीआरसी 1973 एवं एविडेंस एक्ट 1872 में किये गये संशोधन भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय सजा अधिनियम के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चन्द्राकर, संयुक्त कलेक्टर पंकज डाहिरे सहित जिला अधिकारी, पुलिस विभाग के अधिकारी, समस्त एसडीएम, महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी, स्कूल एवं महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं सहित अन्य नागरिक उपस्थित थे।
कार्यशाला न्यायधीशों ने आपराधिक न्याय प्रणाली में हाल ही में किए गए संशोधनों की महत्वपूर्णता पर प्रकाश डाला। उन्होंने तीन नये क़ानून के बारे में बताते हुये कहा की हम सभी जानते है कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एवं सामाजिक समस्या के निराकरण के लिए कानून की आवश्यकता होती है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य आपराधिक कानून में हुए परिवर्तनों को समझना और उनकी प्रभावशीलता पर चर्चा करना था। इसमें भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि मुख्यतः पुराने कानून ब्रिटिश काल से चले आ रहे थे। जिसे प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया गया है। इस बदलाव से अपराधियों के खिलाफ एफआईआर करने में दिक्कत नहीं होगी तथा गंभीर अपराधियों को प्रक्रिया का पालन करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया गया है। पीड़ित पक्ष को ध्यान में रखा गया है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है। पीड़ित पक्षकार को ई-साक्ष्य, जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर से राहत मिलेगी। बहुत अच्छी मंशा के साथ नया कानून बना है। सभी नागरिकों को इसका फायदा मिलेगा। दोषी अपराधियों को सजा जल्दी मिलेगी। जिससे समाज में एक अच्छा प्रभाव एवं परिवर्तन दिखाई देगा। पीड़ित पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सकें। इसके लिए लगातार जानकारी दी जा रही है।
कार्यशाला में बताया गया कि 1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर तीन मुख्य कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएंगे। 150 वर्ष पूर्व कानून में बदलाव किया गया है तथा अलग-अलग धाराओं में सजा के लिए परिवर्तन किया गया है। कानूनों में एकरूपता लाने के लिए नया कानून लाया गया है। उन्होंने बताया कि 7 वर्ष से ज्यादा सजा की अवधि के अपराधों में न्याय दल गठित किया जाएगा तथा साक्ष्य एकत्रित करने के बाद विश्लेषण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है।
कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया हैं। नये टेक्नोलाजी को अपनाने से कार्य सुगम होंगे तथा अपराधियों को समय पर दण्ड मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब जांच के दौरान तकनीक का प्रयोग किया जाएगा और तलाशी एवं जप्ती के दौरान वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। उन्होंने नये कानून के धाराओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

