लेख

छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव : आयुष विभाग की 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा।

परंपरा से प्रगति तक — जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष ने गढ़ी नई पहचान।

कोरबा (ट्रैक सिटी)/ छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, रजत महोत्सव 2025 की धूम पूरे प्रदेश में देखने को मिल रही है। यह सिर्फ राज्य की राजनीतिक या प्रशासनिक उपलब्धियों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उन सभी क्षेत्रों का उत्सव है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में मजबूत बनाया है। इस गौरवशाली यात्रा में आयुष विभाग ने भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। आयुष, जो कि आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और सिद्ध जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का संगम है, ने पिछले 25 वर्षों में न केवल अपने स्वरूप में व्यापक बदलाव देखा है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी बन गया है। कोरबा जिले में आयुष विभाग की यात्रा इसकी सबसे चमकदार मिसाल है, जहाँ वर्ष 2000 में सीमित संसाधन और छोटे स्तर की व्यवस्थाओं से आज आधुनिक सुविधाओं और विशेषज्ञों तक का सशक्त नेटवर्क विकसित हो चुका है।

**25 वर्षों का परिवर्तन: वर्ष 2000 से 2025**

वर्ष 2000 में कोरबा जिले में आयुष स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत सीमित थी। उस समय केवल 27 स्वास्थ्य केंद्र संचालित थे और किसी भी केंद्र में बेड की सुविधा उपलब्ध नहीं थी। डॉक्टरों और फार्मासिस्टों की संख्या भी बहुत कम थी डॉक्टर केवल 27 और फार्मासिस्ट 27 थे। 25 वर्षों के अथक प्रयासों और योजनाओं के परिणामस्वरूप, कोरबा जिले में आयुष स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़कर 69 पहुँच चुकी है। प्रत्येक संस्था में अब औसतन 10 बेड की सुविधा उपलब्ध है। डॉक्टरों की संख्या 82 हो गई है, जबकि फार्मासिस्टों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है।

**आधुनिक अवसंरचना और विशेषज्ञ सेवाओं का विस्तार**

आयुष विभाग ने अपनी परंपरागत पहचान बनाए रखते हुए आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिर की स्थापना और अपग्रेडेशन इसके प्रमुख उदाहरण हैं। वर्ष 2021–22 में 5 शासकीय आयुर्वेद औषधालय उरगा, रज़गामार, जवाली, मदनपुर और छुरीकला को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में अपग्रेड किया गया। वर्ष 2022–23 में 15 अन्य औषधालयों को इसी श्रेणी में अपग्रेड किया गया जिसमें कनकी, बरपाली, सोहागपुर, सुखरीकला, भिलाई बाजार, कटघोरा, चैतमा, पिपरिया, कोरबी, पाढ़ीमार, परसदा, बोईदा, बेहरचुआ, तीवरता, नोनबिर्रा शामिल है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2022–23 में 05 आयुष केंद्रों को “आयुष ग्राम” के रूप में उन्नत किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता सुनिश्चित हुई।

**गुणवत्ता और मान्यता: एनएबीएच सर्टिफिकेशन, कायाकल्प और राज्य पुरस्कार**

आयुष विभाग की प्राथमिकता केवल संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं रही। गुणवत्ता और मानक सुनिश्चित करना भी इसी यात्रा का हिस्सा रहा है। वर्ष 2022 में शासकीय आयुर्वेद औषधालय बरपाली को एनएबीएच ( नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ) सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ। यह जिले का पहला ऐसा औषधालय है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। वर्ष 2022 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू ने राज्य स्तरीय आयुष कायाकल्प में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया।

वहीं वर्ष 2024–25 में डीएमएफ ( जिला खनिज संस्थान न्यास मद ) के सहयोग से शासकीय आयुष पॉलीक्लीनिक कोरबा में आई. पी. डी (इनडोर पेशेंट डिपार्टमेंट) शुरू किया गया। इसके साथ ही आवश्यक उपकरण और मानव संसाधन भी उपलब्ध कराए गए। ये उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि आयुष विभाग केवल परंपरा को संरक्षित नहीं कर रहा, बल्कि इसे आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और गुणवत्ता नियंत्रण के साथ आम लोगों तक पहुँचा रहा है। कोरबा जिले में आयुष विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य जागरूकता, स्वच्छता अभियान, और स्थानीय औषधियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इससे न केवल आयुष चिकित्सा की लोकप्रियता बढ़ी है, बल्कि स्थानीय समुदायों ने स्वास्थ्य सेवा में सक्रिय भागीदारी भी निभाई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित आयुष ग्राम हेल्थ कैंप ने स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य जांच, पोषण संबंधी जानकारी और पारंपरिक उपचार पद्धतियों से जोड़ने का कार्य किया। जिले के स्कूलों में योग और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। यह सामुदायिक सहभागिता विभाग के कामकाज को प्रभावी बनाती है और सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सेवाएँ केवल केंद्रों तक सीमित न रहें, बल्कि हर घर और हर व्यक्ति तक पहुँचे। पिछले 25 वर्षों में कोरबा जिले के आयुष विभाग ने परंपरा और आधुनिकता का संतुलन बनाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई पहचान दी है। यह यात्रा केवल आयुष केंद्रों, डॉक्टरों और दवाइयों की नहीं, बल्कि जनविश्वास, प्रशासनिक निष्ठा और जन-कल्याण के प्रति समर्पण की कहानी है।

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