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ज्येष्ठ मास में बैंगन व लाल मिर्च का न करें सेवन- डॉ.नागेन्द्र शर्मा।

 

कोरबा (ट्रैक सिटी) हिंदी मासानुसार ज्येष्ठ माह का आरंभ 13 मई 2025 मंगलवार से हो गया है। जो 11 जून 2025 बुधवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी ज्येष्ठ (जेठ) मास का आरम्भ 13 मई 2025 मंगलवार से हो चुका है जो 11 जून 2025 बुधवार तक रहेगा। इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह में सूर्य अत्यधिक गर्म रहता है जो अपनी किरणों से धरती की शीतलता को सोख लेता है। जिसके कारण न केवल वातावरण मे बल्कि हमारे शरीर मे भी जल का स्तर गिरने लगता है। इसलिये ज्येष्ठ माह मे जल का सही और पर्याप्त मात्रा में प्रयोग करना चाहिये।अतः हमे जल संरक्षण के उपाय करने के साथ-साथ अपने शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये शीतल जल (मटके अथवा सुराही का) का पर्याप्त मात्रा मे सेवन करना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह मे गर्मी अधिक होने के कारण सन स्ट्रोक (लू) लगने तथा ज्येष्ठ (जेठ) मास मे हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाने के कारण खान-पान से संबंधित रोग जैसे अतिसार, उदरशूल, ज्वर, कास आदि रोग होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में इस माह में धूप से बचाव के साथ-साथ अत्यधिक गरिष्ठ, मसालेदार भोजन और लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिये। साथ ही ज्येष्ठ मास में बैंगन का सेवन भी नहीं करना चाहिये, इससे स्वास्थ पर दुष्प्रभाव पड़ने के साथ गंभीर वात रोग की होने की संभावना बनती है। ज्येष्ठ (जेठ) माह में सुबह का पहला भोजन जल्दी लेना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) मास मे मधुर रस युक्त भोज्य पदार्थ एवं बेल का सेवन अत्यधिक लाभकारी है। ज्येष्ठ (जेठ) के माह में दोपहर भोजन के पश्चात कुछ देर विश्राम करना लाभकारी होता है। ज्येष्ठ (जेठ) मास में दिन बड़े होने के कारण रात्रि भोजन से भी बचना चाहिए। सूर्याेदय से सूर्यास्त के मध्य भोजन कर लेना चाहिये। ज्येष्ठ (जेठ) माह में भोजन के विषय में महाभारत में कहा गया है कि
“ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।”
अर्थात- ज्येष्ठ मास में दिन में एक ही समय भोजन करना चाहिये इससे व्यक्ति निरोगी रहता है।

आहार-
क्या खाना चाहिये- बेल, संतरा अनाजों में जौ, ज्वार की खीर, सत्तू, चांवल, मक्के की खीर, मोंठ, चना, तुअर, मसूर दाल, मौसमी फल जैसे- बेल, संतरा, रसीले फल तरबूज, खरबुज, आम, मौसंबी, सेव, नारियल आदि। सब्जियों में- तुरइ, ककड़ी, जिमीकंद, हरा धनिया, करेला, लौकी, सहजन की फली, पुदीना, चौलाई, पालक, आदि साथ ही मसालों में जीरा, धनिया, पुरानी इमली, मीठा नीम, हल्दी, इलायची, पतली दालचीनी तथा सत्तू एवं रसदार फलों का सेवन करना चाहिये।

क्या नहीं खाना चाहिये- अनाज में बाजरा, गेंहू, उड़द दाल, सब्जियों में बैंगन, मूली, नई इमली, फूल गोभी, पत्ता गोभी,टमाटर, चुकंदर ,अदरक, काली मिर्च साथ ही फलो में पपीता तथा ज्यादा तेल मिर्च मसाले वाले, देर से पचने वाले भारी भोजन एवं बासी भोजन का सेवन कम से कम ही करना चाहिए।

जीवनशैली-
क्या करें- प्रात: जल्दी उठना चाहिये। सुपाच्य ताजा भोजन करें। पानी ज्यादा पियें। सत्तू एवं रसदार फलों का सेवन करें। दोपहर भोजन के बाद विश्राम करें, धूप में जानें से बचें, जाना पड़े तो धूप से बचाव की पर्याप्त व्यवस्था करें। योग-प्राणायाम, ध्यान एवं यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये लेकिन अत्यधिक श्रम से बचें।

क्या न करें- प्रात:देर तक शयन करने से, धूप में जाने से, मसालेदार, तैलीय,भारी भोजन करने से, तामसिक आहार के सेवन से, रात्रि जागरण करने से बचाव करना चाहिये।

 

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