Raipur

नया रायपुर में “सांप संरक्षण एवं बचाव” पर दो दिवसीय विशेष कार्यशाला, पुलिसकर्मियों को दी गई व्यवहारिक ट्रेनिंग।

रायपुर (ट्रैक सिटी)/ रायपुर के प्रतिष्ठित नंदनवन जंगल सफारी में “सांप संरक्षण एवं बचाव” विषय पर दो दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पुलिसकर्मियों को सांपों के प्रति जागरूक बनाना, उनके संरक्षण के महत्व को रेखांकित करना और सांप बचाव की सुरक्षित तकनीकों का व्यवहारिक प्रशिक्षण देना था। कार्यशाला में रायपुर शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों से आए पुलिसकर्मियों ने भाग लिया और बड़ी रूचि के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया।

यह कार्यक्रम जंगल सफारी रायपुर के निदेशक थेजस एस (भा.व.से.) के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज ने किया, जिन्होंने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए सांप संरक्षण की आवश्यकता और इसके सामाजिक व पारिस्थितिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला की रूपरेखा खीलेश्वर (बायोलॉजिस्ट, जंगल सफारी नया रायपुर) द्वारा तैयार की गई थी।

इस कार्यशाला में नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी की टीम ने अहम भूमिका निभाई। टीम के सदस्य एम. सूरज, मोइज़ अहमद, विवेक शर्मा, निमिष किरण शर्मा, चेतन गजेन्द्र और मयंक बागची ने अपने-अपने विषयों की विशेषज्ञता के आधार पर प्रतिभागियों को गहन प्रशिक्षण प्रदान किया।

पहला दिन (15 जुलाई 2025):

कार्यशाला के पहले सत्र का संचालन श्री विवेक शर्मा ने किया, जिन्होंने सांपों की विभिन्न प्रजातियों की पहचान, विषैले एवं गैर-विषैले सांपों में अंतर और उनके पारिस्थितिक महत्व पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सांप हमारे पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये चूहों और अन्य छोटे जीवों की संख्या नियंत्रित कर मानव समाज के लिए अप्रत्यक्ष रूप से लाभकारी होते हैं। सांपों का संरक्षण पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।”

दूसरे सत्र का नेतृत्व निमिष किरण शर्मा ने किया। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि भारत में सांप संरक्षित प्रजातियों में आते हैं। उन्होंने समझाया कि सांपों का शिकार, व्यापार या उन्हें मारना कानूनन अपराध है, जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बचाव कार्य करते समय कानून का पालन करते हुए स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के साथ किस प्रकार समन्वय स्थापित किया जा सकता है।

दूसरा दिन (16 जुलाई 2025):

दूसरे दिन के प्रशिक्षण में मयंक बागची ने प्रतिभागियों को सांप बचाव प्रोटोकॉल और रिहाई प्रोटोकॉल के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से छोटे-छोटे महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाया, जैसे कि रेस्क्यू के समय प्राथमिक सुरक्षा उपाय, उपकरणों का सही उपयोग, और सुरक्षित रिहाई की विधि। इस व्यवहारिक सत्र ने प्रतिभागियों को मौके पर रेस्क्यू की स्थिति का सामना करने के लिए अधिक सक्षम बनाया।

पुलिसकर्मियों की प्रतिक्रिया:

कार्यशाला में उपस्थित पुलिसकर्मियों ने इस प्रशिक्षण की सराहना की। एक प्रतिभागी ने कहा, “पुलिसकर्मियों के लिए यह प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी है। हमारे काम के दौरान कई बार सांपों से सामना होता है। यह प्रशिक्षण हमें डर की जगह समझ विकसित करने और सुरक्षित तरीके से स्थिति को संभालने में सक्षम बनाएगा।”

निष्कर्ष:

यह दो दिवसीय कार्यशाला रायपुर पुलिस बल के लिए एक उल्लेखनीय पहल साबित हुई, जो उन्हें न केवल सांपों के प्रति संवेदनशील बनाएगी, बल्कि मानव और वन्यजीवों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी और जंगल सफारी रायपुर के इस संयुक्त प्रयास की हर ओर सराहना हो रही है।

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