रायपुर/ट्रैक सिटी : सड़कों पर मवेशियों की मौत और रोज-रोज हो रहे हादसों को लेकर हाई कोर्ट के सख्त निर्देश को राज्य सरकार की अकर्मण्यता करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गौठान योजना बंद करने का दुष्परिणाम सड़कों पर दिख रहा है, गौ अभ्यारण्य और गौ धाम का दावा केवल कागजी है असलियत यह है कि भाजपा सरकार की उपेक्षा, पूर्वाग्रह और दुर्भावना के चलते ही गायें सड़कों पर कुचली जा रही हैं, किसान खुली चराई से परेशान हैं और राहगीर भी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। विगत दिनों मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की संयुक्त पीठ में सुनवाई के दौरान सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं, सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़कों पर मवेशियों को हटाने टीम बनाए, रात में गस्त करें, हाईवे अथॉरिटी क्या कर रही है? गायों के गले पर रेडियम बेल्ट पहनाए जाए, आपका काऊ कैचर खाली पड़ा हुआ है, केवल दिखाने के लिए खड़ा किए जाते हैं? विगत 6 माह के भीतर जनवरी 2025 से जुलाई 2025 तक 6 दर्जन से अधिक गौवंशी पशुओं के साथ ही 55 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई है लेकिन सरकार का रवैया शुतुरमुर्ग की तरह है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भाजपा गाय, गोबर और गौ मूत्र के नाम पर केवल राजनीति करती है, असलियत यह है कि विगत डेढ़ साल में छत्तीसगढ़ में गौवंशी पशुओं की संख्या तेजी से घट रही है, गौ तस्करी बढ़ी है, सड़क दुर्घटनाओं के तादाद में बेतहाशा वृद्धि हुई है। विगत दिनों बारीडीह के पास 17 गायें कुचल कर मारी गई, बिलासपुर मे 25 गाय कुचली गयी, इससे पहले रतनपुर बिलासपुर मार्ग पर 12 गायें, दामाखेड़ा के पास 9 गायें मारी गई, किरना में 18 गाये बेरहमी से रौंद कर मार दी गई विगत दो महीने के भीतर एक साथ बड़ी संख्या में हाईवे पर गायों के कुचल कर मारे जाने की ये चौथी बड़ी घटना है। नगरीय निकायों, पंचायत और हाईवे अथॉरिटी में आपस में समन्वय नहीं है जमीनी स्तर पर यह सरकार कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं कर पाई, इसी की वजह से हादसे थमने का नाम नहीं ले रहा है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केवल पशुपालकों पर एफआईआर करना समस्या समुचित उपाय नहीं है, गैर बीमित पशुओं के मालिकों को चिन्हित करना आसान नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान गोबर और गौ मूत्र खरीदी की वजह से गौ वंशी पशु बांध कर रखे जाते थे अब दूसरे गांव और सड़कों पर खुले घूम रहे हैं। कांजी हाउस खाली पड़े हैं। भाजपा की सरकार की गौ संरक्षण को लेकर ना कोई नीति है ना ही नियत। नई व्यवस्था तो छोड़िए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थापित 10 हजार से अधिक गौठान जिसमें से लगभग 8 हजार गौठान आत्मनिर्भर हो चुके थे, गौठान समिति और महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा संचालित होने वाली उस सुव्यवस्थित योजना के संचालन में भी यह सरकार नाकाम रही। भाजपा की सरकार केवल मोटे कमीशन के लालच में गौ-अभ्यारण की बात कर रही है, असलियत यह है कि भाजपा शासित अन्य राज्यों में गौ-अभ्यारण की योजना पूरी तरह असफल हो चुकी है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की डबल इंजन सरकारों में गौ-अभ्यारण योजना दम तोड़ चुकी है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में भाजपा की सरकार चला नहीं पाई और गौ-अभ्यारण को एनजीओ को सौंप दिया है। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा स्थापित गौठानो की व्यवस्था को तत्काल बहाल कर गौ सेवा सुनिश्चित किया जाना चाहिए, अन्यथा गौ हत्या के पाप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का पतन सुनिश्चित है।