कोरबा (ट्रैक सिटी)/ छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़ा पारंपरिक लोकपर्व हरेली तिहार गुरुवार 24 जुलाई को कोरबा जिले सहित पूरे प्रदेश में श्रद्धा, उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया गया। खेत-खलिहानों से लेकर शहर की गलियों और मोहल्लों तक हर ओर हरियाली, उमंग और लोकजीवन की छवि बिखरी रही।
गाँवों में किसानों ने अपने कृषि औजारों की पूजा की, गायों को नहलाकर सींगों में रंग भर सजाया, वहीं बच्चों ने गेड़ी चढ़कर इस परंपरा को जीवंत किया। घर-आँगनों में नीम की टहनियाँ बांधी गईं और पूजा के उपरांत पारंपरिक पकवान बनाए गए। शहर की कॉलोनियों, विद्यालय परिसरों और मोहल्लों में बच्चों द्वारा गेड़ी चलाने की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं, जिससे माहौल आनंदमय हो गया। गेड़ी चढ़े बच्चों को देख बुजुर्गों की आँखें चमक उठीं, जिन्होंने अपने समय की हरेली की यादें साझा कीं। बुजुर्गों ने शांतिपूर्वक पारंपरिक पूजा-अर्चना की और नई पीढ़ी को पर्व की महत्ता समझाई। कई गाँवों में लोकगीत, सुआ नृत्य, पंथी नृत्य और पारंपरिक खेलों जैसे मटका फोड़, रस्साकशी आदि का आयोजन किया गया।
कोरबा नगर निगम, कटघोरा, करतला, पसान, पोड़ी उपरोड़ा सहित विभिन्न ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों में हरेली पर्व का उल्लास साफ़ झलकता रहा। ग्रामीण महिलाएँ समूहों में सज-धजकर पूजा में सम्मिलित हुईं और घर-परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। हरेली पर्व के उपलक्ष्य में नगर निगम और सामाजिक संस्थाओं द्वारा जैविक खेती, गौ-संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर जनजागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। यह पर्व एक ओर जहाँ छत्तीसगढ़िया जीवनशैली और खेती-किसानी की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है, वहीं गाँव और शहर को एक डोर में बाँधने वाला लोकपर्व भी बन गया है। हरेली तिहार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति जितनी गहरी है, उतनी ही जीवंत भी।