एमसीबी

हादसों पर रोकथाम – जिले में शुरू होगी गौधाम योजना

शासन की पहल -सड़कों से हटेंगे मवेशी, गौधामों में मिलेगा आश्रय

जन और पशु सुरक्षा हेतु जिले के गौठान होंगे गौधाम में परिवर्तित

एमसीबी (ट्रैक सिटी)/ हाईवे और शहरी सड़कों पर आवारा मवेशियों के कारण हो रहे लगातार सड़क हादसों पर अब प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। शासन के निर्देशानुसार मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के निष्क्रिय गौठानों को अब गौधाम के रूप में विकसित किया जाएगा। इन गौधामों में मवेशियों को सुरक्षित रूप से रखा जाएगा ताकि वे सड़कों पर न भटकें और लोगों की जान खतरे में न पड़े। शासन ने हाल ही में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रमुख मार्गों पर विचरने वाले मवेशियों को नजदीकी ग्राम पंचायतों में बने गौधामों में रखा जाए। इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में समितियां गठित कर उनकी निगरानी सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं। विदित हो कि दूध देना बंद करने के बाद कई पशुपालक अपने मवेशियों को सड़कों और कचरा स्थलों पर छोड़ देते हैं। इसके चलते यह मवेशी अक्सर हाईवे पर आकर हादसों का कारण बनते हैं। कई बार वाहनों की ठोकर से मवेशी असमय मौत के शिकार हो जाते हैं, वहीं हादसों में वाहन चालकों की भी जान चली जाती है। हाल ही में एक सड़क हादसे में बाइक सवार की मौत भी हो चुकी है।

हर रोज 5 से 6 घायल मवेशी पहुंचते हैं अस्पताल – स्थिति इतनी गंभीर है कि जिले के पशु चिकित्सालय में प्रतिदिन औसतन 5 से 6 घायल मवेशी इलाज के लिए लाए जाते हैं। पशु चिकित्सकों के अनुसार कई दिनों में यह संख्या 8 से 9 तक पहुंच जाती है। इससे साफ है कि सड़क हादसों का बड़ा कारण सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी ही हैं।

जिले में बंद पड़े सभी मॉडल गौठान होंगे पुनर्जीवित – मौजूदा समय में जिले के एक भी गौठान सक्रिय नहीं हैं। सभी गौठान बंद पड़े हुए हैं। शासन ने इन्हीं निष्क्रिय गौठानों को गौधाम में तब्दील करने का निर्णय लिया है, क्योंकि इनके पास पहले से ही स्थल और शेड मौजूद हैं। इन्हें विकसित कर आवारा मवेशियों को रखने का सुरक्षित स्थल बनाया जाएगा।

कलेक्टर ने दी जानकारी – कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी डी. राहुल वेंकट ने बताया कि शासन से गौधाम संबंधी गाइडलाइन प्राप्त हो चुकी है। जिले में जल्द ही समितियों का गठन कर इन गौधामों का संचालन शुरू किया जाएगा। उनका कहना है कि यदि योजना सफल रही तो इससे न केवल सड़कों पर होने वाले हादसों में कमी आएगी बल्कि मवेशियों की जान भी बचेगी और वाहन चालकों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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