कोरबा/ट्रैक सिटी न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में कोरबा नगर पालिक निगम के महापौर रहे जोगेश लाम्बा जी कोरबा के विकास को ऊंचाईयों तक पहुंचाने का वादा करते हुए कोरबावासियों को 4 बड़ी परियोजनाओं की सौगात देने का भरोसा दिलाए थे लेकिन कोरबावासी उन बृहद् परियोजनाओं को धरातल पर आज भी खोज रहे हैं। जोगेश लाम्बा द्वारा जिन प्रमुख परियोजनाओं को साकार करने का आश्वासन दिया गया था उनमें सबसे पहली परियोजना सी.एस.ई.बी. चौक, ट्रांसपोर्ट नगर स्थित स्टोर को प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप योजना के तहत वाणिज्यिक परिसर के रूप में विकसित किए जाने का प्रस्ताव अक्टूबर 2011 में निगम के एम.आई.सी. सदस्यों की बैठक में स्वीकृत किया गया था लेकिन यह परियोजना केवल कागज तक ही सीमित रह गई।
इसी प्रकार कोरबा में निरंतर बढ़ रही आवासीय जरूरतों को पूरा करने की दृष्टि से साकेत भवन के सामने पुराने कोर्ट परिसर में बहुमंजिला हाऊसिंग प्रोजेक्ट के लिए हुडको की वित्तीय सहायता से क्रियान्वयन कराए जाने के लिए प्रस्ताव अक्टूबर 2011 में निगम के एम.आई.सी. सदस्यों की बैठक में स्वीकृत किया गया था लेकिन यह परियोजना भी केवल कागज तक ही सीमित रह गई।
एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना के प्रस्ताव को एम.आई.सी. की मई, 2012 में हुई बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसके तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप योजना के तहत कोरबा कोतवाली परिसर को पूर्ण रूप से विकसित किया जाना था, लेकिन यह परियोजना भी मात्र फाईलों तक ही सीमित रह गई।
इसी प्रकार एक प्रोजेक्ट दर्री बरॉज में कोरबा वासियों के लिए बोटिंग क्लब, चौपाटी एवं मनोरंजन उद्यान बनाए जाने की योजना के प्रस्ताव को अक्टूबर, 2012 में हुई एम.आ.ई.सी. सदस्यों की बैठक में सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया था लेकिन यह परियोजना भी फाईलों में विलुप्त होकर रह गई।
इसमें संदेह नहीं कि उपर्युक्त चारों परियोजनाएं कोरबावासियों के हित में मील का पत्थर साबित हो सकती थीं, लेकिन लाम्बा जी अपने कार्यकाल में एक भी परियोजना को अमलीजामा नहीं पहना सके।
इसके अतिरिक्त लाम्बा जी ने महापौर रहते हुए उपर्युक्त परियोजनाओं को डकारने के साथ ही मोतीसागर पारा का तालाब और लक्ष्मण बन तालाब दोनों के ऊपर कब्जा जमा लिया जिसकी वजह से बस्तीवासियों की निस्तारी बाधित हो गई। इसी तरह से महापौर रहते हुए इमलीडुग्गू में लगभग सवा एकड़ शासकीय जमीन पर लाम्बा जी ने फार्म हाऊस बना रखा है।
एक तरफ तो कोरबा की जनता चाहती है कि कोरबा शहर के मध्य से ट्रांसपोर्ट नगर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए जबकि लाम्बा जी चाहते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर वर्तमान में जहां संचालित है वहीं रहे ताकि उनकी दुकान एवं गैरेज भी यथावत चलता रहे। मात्र अपने हित के लिए कोरबा वासियों के हित की बलि चढ़ाने में लाम्बा जी को कोई गुरेज नहीं है।
सर्वाधिक रोचक पहलू यह भी है कि पंजाबी समाज के लोग इस मुगालते में रहे कि उनके समाज का व्यक्ति शहर का प्रथम नागरिक बना है तो अन्य समाज की ही भांति पंजाबी समाज का भी भवन बन जाएगा। लेकिन पंजाबी समाज के लोग खुद को ठगा हुआ तब महसूस करने लगे जब पता चला कि पंजाबी समाज का भवन बनाने के लिए चिन्हित की गई जमीन पर खुद लाम्बा जी ने कब्जा जमा लिया है। सम्भवतः यही सब कारण होंगे जब समय आने पर 2013 के महापौर रहते हुए विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी तो बने लेकिन कोरबा की जनता ने उनकी करतूतों का प्रतिफल चुनाव में करारी हार देकर लाम्बा जी को जवाब दे दिया।
