कोरबा

किंग कोबरा को संरक्षित करने के लिए आपदा प्रबंधन एवं राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने विगत दिनों वन मंत्री मो. अकबर को पत्र लिखा

कोरबा: छत्तीसगढ़ में किंग कोबरा को संरक्षित करने के लिए आपदा प्रबंधन एवं राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने विगत दिनों वन मंत्री मो. अकबर को पत्र लिखा था। पत्राचार कर जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि कोरबा जिले में किंग कोबरा पर गहन अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है।
कोरबा जिले के लेमरू व पसरखेत क्षेत्र में किंग कोबरा के संरक्षण के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने और किंग कोबरा के लिए पुनर्वास केन्द्र की स्थापना तथा किंग कोबरा अभ्यारण के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। किंग कोबरा एवं अन्य वन्य जीवों हेतु कोरबा मे रेस्क्यू सेंटर बनाना चाहिए। जयसिंह अग्रवाल ने बताया कि नोवा नेचर एक सामाजिक संस्था द्वारा वन विभाग के सहयोग से कोरबा के घने जंगल क्षेत्र में सर्वे कराया गया था। सर्वे पश्चात् किंग कोबरा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राष्ट्रीय विशेषज्ञो से सलाह लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल एवं वन विभाग को प्रस्तुत किया था। रिपोर्ट में उन्होने बताया है कि किंग कोबरा खतरनाक होने के अलावा प्रकृति का खुबसूरत एवं उपयोगी जीव है। सरीसृप प्रजाति का यह जीव मध्य भारत और छत्तीसगढ़ के कोरबा के घने जंगलों तक सीमित रह गया है। यह प्रकृति का बेहद खूबसूरत जीव होने के साथ साथ विश्व का सबसे बड़ा विषैले सांप का प्रजाति हे। जिस प्रकार केरल राज्य में किंग कोबरा अभ्यारण बनाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है वैसे ही कोरबा के पर्यटन स्थल पसरखेत में किंग कोबरा अभ्यारण बनाकर पर्यटन स्थल को विकसित किया जा सकता है इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर सुलभ होंगे।

क्या है किंग कोबरा सांप

किंग कोबरा दुनिया का सबसे खतरनाक सांपों में से एक है। इसके डसने से 20 से 25 मिनट के अंदर उचित ईलाज नही मिले तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। इसकी लंबाई सामान्य तौर पर अधिकतम 20 फुट तक होती है। जानकारों के हिसाब से किंग कोबरा एक बार में 20 से 35 अण्डे देती हैं और इन अण्डों से बाहर आने तक इन अण्डों की देखभाल करते हैं।
क्या है ईलाज
किंग कोबरा हो या अन्य और कोई भी सांप, डसने के बाद सबसे पहला काम तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। जब तक आप डॉक्टर के पास नही पहुंच रहे हैं तब तक सांप के डसने की जगह से थोड़ा उपर कपड़े या रस्सी से जोर से बांध देना चाहिए जिससे शरीर के अन्य हिस्सों में जहर फैलने से रोका जा सके।
विगत दिनों रेस्क्यू टीम के साथ मिलकर नोवा नेचर संस्था ने किंग कोबरा के घटती संख्या का कारण पता लगाने कोरबा के वनमण्डल में सर्वे कराया गया। सर्वे के दौरान पांच किंग कोबरा के साथ इनके घोंसले, इनके केंचुली मिले। लेमरू और परसखेत के क्षेत्रों में किंग कोबरा पाए जाने का प्रमाण भी मिले हैं। बताया गया है कि लेमरू और पसरखेत के जंगल में किंग कोबरा के लिए अनुकूल पौधे और जलीय क्षेत्र है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने किंग कोबरा के कोरबा में पाए जाने के संकेत को गंभीरता से लिया है। उन्होने वन मंत्री मों. अकबर को पत्र लिखकर किंग कोबरा के निवास क्षेत्र को विकसित करने एवं संरक्षण और संवर्धन के लिए सार्थक पहल हेतू आग्रह किया है।
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