कोरबा

पुस्तक बोलती नहीं पर उनके भीतर ज्ञान का सागर समाहित है: डॉ बोपापुरकर

 

कमला नेहरु महाविद्यालय में मनाया गया पुस्तकालय दिवस, स्मरण किए गए पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के जनक डॉ. एसआर रंगनाथन का योगदान

कोरबा। पुस्तकें बातें नहीं करतीं, किसी से कुछ भी नहीं कहतीं, लेकिन अपने भीतर ढेर सारी बातों को समाहित, संग्रहित एवं संचित रखती हैं। जब तक शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों और विद्यार्थियों का पुस्तकों से पारस्परिक मेल नहीं होगा, ग्रंथालय में आना-जाना नहीं होगा, तब तक वे पुस्तकों में बसने वाले ज्ञान के महासागर की गहराई से वाकिफ नहीं हो सकेंगे।

कमला नेहरु महाविद्यालय के ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को पुस्तकालय दिवस मनाया गया। ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान के जनक कहे जाने वाले डॉ एसआर रंगनाथन के जन्मदिन को इस विशेष दिवस के लिए अर्पित किया गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमला नेहरु महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने आगे कहा कि दक्षिण भारत में चेन्नई के ग्राम शियाली में 12 अगस्त 1892 को जन्में डॉ रंगनाथन का संपूर्ण जीवन ग्रंथालय एवं सूचना विज्ञान के उत्तरोत्तर विकास के लिए समर्पित रहा। उनका मानना था कि किसी भी संस्था का जो हृदय होता है, वह उसका ग्रंथालय होता है। यहीं से ज्ञान की ढेर सारी सामग्रियां मिलती हैं। लोगों के लिए ज्ञान का भंडार होने के साथ हमारे ग्रंथालय विद्यार्थियों के लिए शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भागीदारी प्रदान करते हैं। कार्यक्रम में प्रमुख रुप से कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ एस सी तिवारी, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना सिंह, फॉरेस्ट्री के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील तिवारी, कंप्यूटर विज्ञान के विभागाध्यक्ष अनिल राठौर, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ सुशीला कुजूर, मनीषा शुक्ला, डॉ ललिता साहू, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के सहायक प्राध्यापक मनीष कुमार पटेल, रामकुमार श्रीवास, ग्रंथालय सहायक एस के महतो एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

ग्रंथालय से नियमित तौर पर जुड़ने का संकल्प
डॉ बोपापुरकर ने कार्यक्रम में उपस्थित प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियां को शपथ दिलाते हुए कहा कि वे अपने कॉलेज के ग्रंथालय से नियमित तौर पर जुडेंÞ। जिस उद्देश्य को लेकर डॉ रंगनाथन से भारत में एक मशाल प्रज्ज्वलित की, उसका लाभ प्राप्त करते हुए आज की युवा पीढ़ी को जीवन में आत्मसात कर ज्ञान का सतत अर्जन करना चाहिए। इसके लिए उन्हें ग्रंथालय और यहां की किताबों से निरंतर संपर्क में रहना होगा। हम कोशिश करें कि नियमित रुप से ग्रंथालय जाएं और इसी उद्देश्य को लेकर यह ग्रंथालय दिवस मनाया गया हैं।

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