कोरबा/जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण छत्तीसगढ़ सहित जिले के कुछ भागों में अप्रैल से जून महीने के दौरान भीषण गर्मी पड़ने एवं लू चलने की प्रवृत्ति देखी गई है। भीषण गर्मी के कारण जन-जीवन प्रभावित होता है एवं जन साधारण को स्वास्थ्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भीषण गर्मी की स्थिति में स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, दैनिक मजदूरों एवं यातायात पुलिस आदि को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कोरबा जिला औद्योगिक एवं वनांचल क्षेत्र होने के कारण मई एवं जून माह में भीषण गर्मी पड़ती है। जिला प्रशासन द्वारा भीषण गर्मी एवं लू से बचाव-प्रबंधन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लोगों को लू जैसी स्थिति में सावधानी बरतने लू के लक्षण, बचाव एवं लू लगने पर किए जाने वाले उपचार संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। कलेक्टर रानू साहू ने लू और संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा स्वास्थ्य केन्द्रो में जीवन रक्षक घोल की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होने लू से बचने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेयजल की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये है। कलेक्टर श्रीमती साहू ने जिले के नागरिकों से लू से बचाव संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करने तथा अत्यधिक गर्मी से पीड़ित बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखने की अपील की है।
लू के लक्षण – भीषण गर्मी से बचाव संबंधी जारी दिशा-निर्देशानुसार सूर्य की तेजी गर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर के तापमान नियंत्रण प्रणाली में वितरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण शरीर का तापमान अनियंत्रित होकर अत्यधिक बढ़ जाता है। जिससे शरीर में पानी और खनिज मुख्यतया नमक की कमी हो जाती है। इस स्थिति को लू लगना (हीट स्ट्रोक) के नाम से जाना जाता है। लू के प्रमुख लक्षणों में तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना तथा सिर में तेज दर्द होना, अधिक प्यास लगना, पेशाब कम होना व जलन होना, पसीना नहीं आना व भूख कम लगना, चक्कर आना, मांसपेशियों में दर्द, थकावट तथा कभी-कभी बेहोश हो जाने जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल ही उपचार कराया जाना चाहिए।