पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल के निर्देशन में मानवता की मिसाल बनी मुंगेली पुलिस
मुंगेली (ट्रैक सिटी) जनसेवा और मानवता का परिचायक बन चुका “पहल अभियान” आज एक बार फिर अपनी सार्थकता साबित करता दिखाई दिया। पुलिस अधीक्षक मुंगेली भोजराम पटेल (भा.पु.से.) के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में सोमवार, दिनांक 28 अक्टूबर 2025 को चौकी खुड़िया अंतर्गत सूदूर वनांचल क्षेत्र अचानकमार टाइगर रिजर्व के ग्राम अचानकमार में आयोजित साप्ताहिक बाजार के अवसर पर एक विशेष मेडिकल कैम्प एवं शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया गया।
इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीणों को न केवल स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान की गईं, बल्कि उनके बीच जाकर उनकी समस्याएँ भी सुनी गईं और मौके पर ही कई मामलों का निराकरण किया गया।
यह कार्यक्रम मुंगेली पुलिस की जन-जुड़ाव नीति का एक उत्कृष्ट उदाहरण साबित हुआ, जिसने पुलिस और जनता के बीच विश्वास का सेतु और भी मजबूत कर दिया।
वनांचल में पहुंची पुलिस की ‘पहल’
अचानकमार क्षेत्र, जो घने जंगलों से घिरा और शहरों से कई किलोमीटर दूर स्थित है, वहाँ स्वास्थ्य और प्रशासनिक सुविधाएँ अक्सर ग्रामीणों की पहुँच से दूर रहती हैं। ऐसे में जब पहल अभियान के तहत पुलिस प्रशासन का काफिला इस सुदूर क्षेत्र में पहुँचा, तो ग्रामीणों के चेहरों पर राहत और खुशी झलक उठी।
ग्राम छपरवा, लमनी, काटामी, बिंदावल, दानावखार, बम्हनी, बिरारपानी, रंजकी समेत करीब 15 ग्रामों के सैकड़ों ग्रामीण साप्ताहिक बाजार में पहुँचे थे। इसी भीड़ के बीच पुलिस अधिकारियों ने स्वास्थ्य शिविर लगाकर ग्रामीणों का नि:शुल्क उपचार किया, दवाएँ वितरित कीं और उनकी सामान्य स्वास्थ्य जांच की गई।
स्वास्थ्य सेवा के साथ मानवीय संवाद
मेडिकल टीम ने ग्रामीणों का ब्लड प्रेशर, शुगर, बुखार, स्किन इंफेक्शन, जोड़ों का दर्द और अन्य सामान्य बीमारियों की जांच की। कई ऐसे मरीज भी मिले जिन्हें वर्षों से कोई इलाज नहीं मिला था। उन्हें प्राथमिक उपचार के साथ आगे के इलाज के लिए जरूरी परामर्श दिया गया।
पुलिस अधिकारियों ने मौके पर मौजूद बुजुर्गों और महिलाओं से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और जाना कि वे किन समस्याओं से जूझ रहे हैं — चाहे वो सड़क की समस्या हो, राशन कार्ड, पेयजल, स्वास्थ्य केंद्र की कमी या फिर बिजली की अनियमितता।
ग्रामीणों ने बताया कि इतने सालों में पहली बार पुलिस प्रशासन इस रूप में उनके गांवों तक पहुँचा है, जहाँ सिर्फ कानून-व्यवस्था की बात नहीं, बल्कि जनसेवा और संवेदना की बात की गई।
“पुलिस सिर्फ वर्दी नहीं, हमारी साथी भी है” — ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्राम बम्हनी के निवासी गंगाराम मरकाम ने कहा —
“हमने पुलिस को हमेशा अपराध रोकने के लिए देखा था, लेकिन आज वे हमारे इलाज के लिए आए हैं। यह देखकर बहुत अच्छा लगा। हमें लगा जैसे सरकार हमारे पास खुद चलकर आई हो।”
वहीं ग्राम अचानकमार की मीना सकत ने बताया —
“पहले तो हम पुलिस वालों से डरते थे, लेकिन आज उन्होंने हमारे बच्चों का इलाज कराया, हमारी बात सुनी। अब लगता है पुलिस हमारी अपनी है।”
इन शब्दों में ग्रामीणों की आत्मीयता और भरोसे का भाव साफ झलकता है।
पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की दूरदर्शिता
मुंगेली जिले के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने पहल अभियान को न केवल अपराध रोकथाम के लिए बल्कि सामाजिक सुधार और ग्रामीण जनकल्याण का माध्यम बनाया है। उनके नेतृत्व में जिले के दूरस्थ इलाकों में पुलिस की जनपुलिसिंग की अवधारणा ने नया आयाम प्राप्त किया है।
उन्होंने कहा —
“पुलिस का काम सिर्फ अपराधियों को पकड़ना नहीं, बल्कि समाज की सेवा करना भी है। हम चाहते हैं कि जनता हमें अपना साथी समझे, न कि भय का कारण। ‘पहल अभियान’ इसी सोच का विस्तार है, जिसके तहत हम हर उस व्यक्ति तक पहुँचना चाहते हैं जो सरकारी सुविधाओं से अब तक वंचित है।”
जनसुनवाई से लेकर जनजागरूकता तक
पहल अभियान के तहत न केवल स्वास्थ्य सेवा दी गई, बल्कि पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों को नशामुक्ति, महिला सुरक्षा, साइबर अपराध से बचाव और यातायात नियमों के प्रति भी जागरूक किया।
कई युवाओं को रोजगार योजनाओं की जानकारी दी गई और उन्हें यह समझाया गया कि शिक्षा और कानून का पालन कर वे अपने गांव के विकास में योगदान दे सकते हैं।
बच्चों को बाल अधिकारों के बारे में बताया गया और उन्हें प्रेरित किया गया कि वे नियमित रूप से स्कूल जाएँ।
महिलाओं के बीच महिला हेल्पलाइन 1091, साइबर हेल्पलाइन 1930, नशामुक्ति हेतु 1933और आपातकालीन नंबर 112 की जानकारी भी दी गई।
ग्रामीणों ने की तारीफ, कहा — “ऐसी पहल लगातार होनी चाहिए”
कार्यक्रम के अंत में ग्रामीणों ने पुलिस टीम का आभार जताया और कहा कि यह अभियान वास्तव में “जनपुलिसिंग” की परिभाषा को साकार करता है।
ग्राम बिरारपानी की एक बुजुर्ग महिला दुर्गावती बाई ने कहा —
“हमारे यहां कभी डॉक्टर नहीं आता, लेकिन आज पुलिस डॉक्टर लेकर आई। अब हमें लगता है कि सरकार हमारी सुन रही है।”
ग्रामीणों ने इस प्रकार की पहल को निरंतर चलाने की मांग की, ताकि गांव-गांव तक जनसेवा की यह लहर पहुँच सके।
एक अनूठी मिसाल
अचानकमार के साप्ताहिक बाजार में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल प्रशासनिक दृष्टि से सफल रहा, बल्कि यह मानवता की एक जीवंत मिसाल बन गया।
पुलिस के इस कदम ने यह संदेश दिया कि वर्दी सिर्फ कानून का प्रतीक नहीं, बल्कि करुणा, सेवा और समर्पण का प्रतीक भी हो सकती है।
मुंगेली पुलिस द्वारा चलाया जा रहा “पहल अभियान” आज जिले में नई सोच और नई दिशा का पर्याय बन चुका है।
जहाँ एक ओर यह अभियान ग्रामीणों को शासन से जोड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज में पुलिस की संवेदनशील छवि स्थापित कर रहा है।
अचानकमार जैसे वनांचल क्षेत्र में पहुँचकर पुलिस ने यह साबित किया कि दूरी चाहे कितनी भी हो, सेवा भावना अगर सच्ची हो तो हर दिल तक पहुँचा जा सकता है।
ग्रामीणों की मुस्कान और उनके आशीर्वाद इस बात का प्रमाण हैं कि यह “पहल” सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि एक मानवीय आंदोलन बन चुका है —
जो हर कदम पर यह संदेश देता है कि “पुलिस जनता के लिए, जनता पुलिस के लिए।”

