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आखिर विकासखंड स्तरीय समिति द्वारा अतिशेष शिक्षकों के चिन्हानकन में भारी भरकम विसंगति क्यों?- युक्ति युक्त करण काउंसलिंग के समय अतिशेष चयन सूची में बड़ी बदलाव, कहीं जानबूझकर अधिकारियों द्वारा बड़ी खेला का मनसा तो नहीं–ओमप्रकाश बघेल 

कोरबा (ट्रैक सिटी)/ छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर द्वारा 02 अगस्त 2024 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता,बच्चों की दर्ज संख्या के अनुपात में शालाओं एवं शिक्षकों के युक्तियुक्त करण किए जाने सम्बन्धी विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया गया है जिसके तहत युक्तियुक्त करण की कार्यवाही स्कूल शिक्षा विभाग मे जारी है।

*उक्त निर्देश के कंडिका एक D विकासखंड स्तरीय समिति के दायित्व स. क्र. 2′ युक्ति युक्त करण हेतु अतिशेष शिक्षकों का चिन्हानकन एवं सूचीबद्ध करना। क्र.3′ रिक्त पदों की शालावार सूची बनाना क्र.5′ विकासखंड स्तरीय समिति इस बात का प्रमाण पत्र देगी कि उसके द्वारा नियमानुसार अतिशेष शिक्षकों का चिन्हानकान किया गया है। क्र. 6′ विकासखंड स्तरीय समिति यह भी प्रमाणित करेगी की उनके द्वारा दिए गए रिक्त पदों की संख्या वास्तविक है कोई भी रिक्त पद छूटा नहीं है।

*सवाल*- विकासखंड स्तरीय समिति द्वारा अतिशेष शिक्षकों के चिन्हानकन में भारी भरकम विसंगति क्यों? अतिशेष शिक्षकों की चयन सूची जारी होने के पश्चात काउंसलिंग के समय अतिशेष सूची में बड़ी बदलाव की आवश्यकता क्यों पड़ी? छ ग शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण निर्देश के पालन में विकासखंड स्तरीय समिति द्वारा गंभीरता क्यों नहीं बरती गई यह यक्ष सवाल है, अतिशेष शिक्षकों के चिन्हानकन में कहीं जानबूझकर अधिकारियों द्वारा बड़ी खेला का मनसा तो नहीं*।

अतिशेष सहायक शिक्षकों का चिन्हानकन संख्या 307, जारी संख्या 294,काउंसिंलिंग हेतु संसोधित संख्या 284 मा शा. अतिशेष शिक्षक चिन्हानकन 154, जारी अतिशेष शिक्षक 148,ब्याख्याता अतिशेष जारी 95, संशोधन पश्चात् ब्याख्याता अतिशेष 75, इस प्रकार से विकास खंड स्तरीय समिति द्वारा अतिशेष शिक्षकों के चिन्हानकन पश्चात् यदि बड़ी मात्रा मे बदलाव कर संशोधित सूची जारी की जा रही है तो स्पष्ट है कि अतिशेष शिक्षकों के चिन्हानकन मे गंभीरता नही दिखाई गई है इसलिए विसंगति पूर्ण सूची जारी की गई।

बताया जा रहा है कि कई शिक्षकों को अतिशेष से मुक्त रखने संशोधन का खेल जारी है।युक्तियुक्त करण निर्देश कंडीका दो के स. क्र. 05.कम दर्ज संख्या के मान से समीप के दो प्राथमिक या पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के युक्ति युक्त करण की स्थिति में अधिक दर्ज संख्या वाले विद्यालय में कम दर्ज संख्या वाले विद्यालय का समायोजन किया जाएगा समायोजन के पश्चात विद्यालय का संचालन अच्छी अधोसंरचना वाले भवन में किया जाएगा समस्त अभिलेख एवं सामग्री का संधारण बड़ी दर्ज संख्या वाले विद्यालय के संस्था प्रमुख करेंगे। किन्तु स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद भी बड़ी दर्ज संख्या वाली संस्था के वरिष्ठ प्रधान पाठकों को अतिशेष के श्रेणी मे लाया जाकर दूरदराज के संस्थाओं मे पोस्टिंग दी जा रही है। जो कि खेद जनक है एवं युक्तियुक्त करण दिशा निर्देश के विपरीत है।बड़ी दर्ज संख्या वाले प्रा. शा. कन्या दुरपा वि. ख. कटघोरा मे प्रा. शा जरहाजेल वि ख. कटघोरा को समायोजित किया गया है जिसमे समायोजित होने वाले संस्था के प्रधान पाठक जो कनिष्ठ होते हुए भी वरिष्ठ बताकर बड़ी दर्ज संख्या वाले संस्था के प्रधान पाठक को अतिशेष बताया गया है, जो उक्त वर्णित निर्देश के प्रतिकूल हैँ। इसी प्रकार अतिशेष शिक्षक के चिन्हानकन कनिष्ठ वरिष्ठ के मापदंड मे भी गंभीर त्रुटिया मिली है।

मा. शा. बेला विकास खंड कोरबा मे भी एक ही तिथि मध्यान्ह पूर्व एवं मध्यान्ह पश्चात् कार्यभार ग्रहण एवं पाठकान पंजी के वरियता क्रम को दरकिनार करते हुए मध्यान्ह पश्चात कार्यभार ग्रहण वाले एवं पाठकान मे वरियता क्रम के कनिष्ठ को वरिष्ठ चिन्हानकन कर वरिष्ठ शिक्षक को अतिशेष माना गया है जो वरिष्ठता निर्धारण पर प्रश्न चिन्ह है। ऐसे अनेक मामलों को अधिकारियों के संज्ञान मे लाने पर भी समाधान न कर टालमटोल किया जाना सोची समझी साजिश को जन्म देता है। ऐसे गंभीर मामले को लेकर जिला कलेक्टर महोदय के पास जाने पर भी कोई सुनवाई नही की जा रही है जबकि युक्तियुक्त करण की कार्यवाही को पूर्ण परिणाम तक पहुँचाने का दायित्व कलेक्टर महोदय का है,। पीड़ित अतिशेष शिक्षकों की समस्याओं को जिले के उच्च एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा नही सुने जाने की स्थिति मे अधिकारियों द्वारा पीड़ित को माननीय न्यायालय के शरण मे जाने अप्रत्यक्ष प्रेरित करने जैसा है।जो न्याय संगत नही है।

युक्तियुक्त करण निर्देश के कंडीका दस के स. क्र. 04 काउंसलिंग की प्रक्रिया मे स्पष्ट उल्लेख है की काउंसलिंग हेतु जितने शिक्षक अतिशेष हैं उतनी ही संख्या में शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय एवं अधिक दर्ज संख्या वाले विद्यालयों को दर्शित किया जाए किंतु यहां यह ध्यान में रखा जाएगा कि सभी शिक्षक विहिन् विद्यालयों एवं इसके पश्चात सभी एकल शिक्षकीय विद्यालयों को अनिवार्य रूप से दर्शित किया जाए। उक्त कंडीका का पालन जिला स्तरीय समिति द्वारा नही की गई है। इससे स्पष्ट है कि जिला स्तरीय समिति द्वारा शिक्षकों के युक्तियुक्त करण निर्देश का पालन सहि एवं विधिसंगत ढंग से नहीं किया गया है विसंगति पूर्ण है इसलिए छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश बघेल, संभागीय अध्यक्ष बिलासपुर मोहन लहरी, जिलाध्यक्ष कोरबा नित्यानंद यादव कलेक्टर महोदय कोरबा से संघ मांग करती है कि पूर्व मे आयोजित काउंसलिंग की कार्यवाही को निरस्त किया जाकर विसंगति रहित अतिशेष शिक्षकों का चिन्हानकन कर युक्तियुक्त करण किया जाए।

 

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