Korba

उल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया देवउठनी एकादशी गूंजे मंगल गीत,मांगलिक कार्यों की हुई शुरुआत।

गन्नों से सजे मंडप के नीचे भगवान शालिग्राम और तुलसी का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह हुआ संपन्न।

कोरबा (ट्रैक सिटी)/ कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवउठनी एकादशी का पर्व शनिवार को पूरे उल्लास और धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गन्नों से सजे मंडप के नीचे भगवान शालिग्राम और तुलसी का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न हुआ। तुलसी विवाह के साथ ही अब वैवाहिक आयोजनों और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो गई है।

सुबह से ही श्रद्धालुजन तैयारियों में जुटे रहे। आंगनों और मंदिरों में गन्नों का मंडप बनाकर तुलसी व शालिग्राम की प्रतिमाओं को सजाया गया। मंडप के नीचे रंग-बिरंगी रंगोलियों से साज-सज्जा की गई। घरों के द्वार पर रंगोली की कलाकृतियां लोगों का मन मोह रही थीं। परंपरा के अनुसार हल्दी, चंदन और मांगलिक लेपों से तुलसी और शालिग्राम का श्रृंगार कर विवाह की सभी रस्में पूरी की गईं।

शहर और गांवों में दीपावली जैसा उत्साह देखने को मिला। बाजारों में सुबह से ही गन्ना, शकरकंद, सिंघाड़ा और पूजन सामग्रियों की जमकर खरीदारी हुई। शाम होते ही श्रद्धालुओं ने दीप जलाकर तुलसी विवाह का शुभारंभ किया। युवाओं और बच्चों ने आतिशबाजी कर पर्व का आनंद लिया।

पूरे विधि-विधान से संपन्न तुलसी-शालिग्राम विवाह के दौरान श्रद्धालुओं ने पवित्र जल से तुलसी को अर्घ्य अर्पित किया और भगवान विष्णु स्वरूप शालिग्राम तथा तुलसी माता के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की। व्रती श्रद्धालुओं ने दिनभर उपवास रखकर शाम को पूजा-अर्चना और जागरण किया।

देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु के चार माह के योगनिद्रा से जागने का प्रतीक पर्व है। इस दिन से मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृहप्रवेश और अन्य शुभ कर्मों की शुरुआत होती है। श्रद्धालुओं ने एकादशी महात्म्य कथा का श्रवण कर जीवन में सुख-समृद्धि और उत्साह की कामना की।

देवउठनी पर्व की रात भक्तिमय वातावरण में भजन, कीर्तन और दीप प्रज्ज्वलन से पूरा क्षेत्र आलोकित हो उठा। तुलसी विवाह के साथ ही एक बार फिर से मांगलिक आयोजनों का शुभ मुहूर्त आरंभ हो गया है।

 

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