जांजगीर-चाँपा

परीक्षा पे चर्चा में शामिल हुए जिले के दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने सीखा परीक्षा पे चर्चा के माध्यम से परीक्षा के मूल मंत्र सीख

दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चे बडे उत्साहित , सुबह से तैयार हो गए थे

जांजगीर चांपा,28 जनवरी (ट्रैक सिटी न्यूज़) आज “परीक्षा पे चर्चा” के लिए, छत्तीसगढ़  के 2 छात्र से पीएम मोदी ने बात किया , जिससे दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चो ने तालिया बजाकर स्वागत किया । छात्रों से चर्चा सुबह 11बजे से शुरू हुवा ।बस्तर से छात्र रूपेश कश्यप, राजनांदगांव से छात्रा रश्मि प्रजापति से पीएम मोदी “परीक्षा पे चर्चा” किया गया एवं उनके सवालों का जवाब भी दिया गया, दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चों मे काफी उत्साह देखा गया और बच्चों ने प्रधानमंत्री द्वारा बताये गए परीक्षा पे चर्चा के मूल मंत्र के माध्यम से आगामी 2023 की मुख्य परीक्षा की तैयारी करेंगे, वही परीक्षा पे चर्चा के मूल मंत्र के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल के बच्चो ने प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद किया, की उन्होंने ने परीक्षा की घड़ी पर हमें परीक्षा की मूल मंत्र बताये,

वही प्राचार्या श्रीमती कल्पना सिंह ने बताया की परीक्षा पे चर्चा काफी ज्ञानवर्धक थी जिसे बच्चो ने ध्यान से देखा, प्रधानमंत्री जी द्वारा परीक्षा पे चर्चा को, आज देखे तो देश के लाखों छात्रा एवं उनके पालक परीक्षा पे चर्चा के माध्यम से जुडा और संवाद भी किया, हमें भी बहुत अच्छा लगा की प्रधानमंत्री जी ने अपनी द्वारा बच्चो को बताया की कैसे हमें परीक्षा को खेल के माध्यम से परीक्षा दिलाना चाहिए और ख़ुशी हुई की आज हमारे छत्तीसगढ़ की दो छात्र परीक्षा पे चर्चा मे शामिल हुए,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्‍ली के तालकटोरा स्‍टेडियम में विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ परीक्षा पे चर्चा के छठे संस्‍करण में विद्यार्थियों से संवाद किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा, उनकी भी परीक्षा है क्‍योंकि विद्यार्थी सामने प्रश्‍न पूछकर उनकी परीक्षा लेते हैं। श्री मोदी ने कहा कि वे हमेशा विद्यार्थियों के प्रश्‍नों का जवाब देकर प्रसन्‍नता महसूस करते हैं। विद्यार्थियों के तनाव रहित परीक्षा देने और अभिभावकों की अपेक्षाओं से संबंधित एक प्रश्‍न के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि अभिभावकों का बच्‍चों से अपेक्षा करना कोई बुरी बात नहीं है और अगर वे समाज में दिखावा के लिए ऐसा करते हैं तो यह सही नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी दृढ़ इच्‍छा और स्‍वयं की शक्ति को अभिभावकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अपेक्षाओं से निपटने के लिए विशेष रूप से ध्‍यान केंद्रित करना आवश्‍यक है।

विभिन्‍न कार्यों को एक साथ पूरा करने और कुशल समय प्रबंधन पर प्रधानमंत्री ने विभिन्‍न विषयों के अध्‍ययन पर प्रर्याप्‍त समय देने के लिए सूक्ष्‍म प्रबंधन तकनीक अपनाने का मंत्र दिया। श्री मोदी ने कहा कि विद्यार्थियों को अपने मनपसंद विषयों पर अधिक समय देना चाहिए। उन्‍होंने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि वे पढ़ते समय ऐसे विषयों को प्राथमिकता दें ताकि कठिन विषयों में उनकी रुचि बढ़े।

प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को भी सुझाव दिया कि वे अपना काम शुरू करने से पहले बुद्धिमत्‍ता का उपयोग करें और स्‍वयं का सही मूल्‍यांकन करें। उन्‍होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी क्षमता जाननी चाहिए और वे इसके बाद अपनी ऊर्जा को दिशा दें। उन्‍होंने कहा विद्यार्थियों को असाधारण नहीं होने कारण उनपर दबाव नहीं दिया जाना चाहिए। श्री मोदी ने कहा यदि कोई विद्यार्थी औसत दर्जे का है तो उसमें भी कुछ न कुछ असाधारण हो सकता है। आलोचना पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना समृद्ध बनाती है और यह हमारे जीवन में सीख के लिए मूल्‍यवान है। उन्‍होंने कहा कि यदि कोई परिश्रमी और ईमानदार है तो उन्‍हें आलोचना की परवाह नहीं करनी चाहिए क्‍योंकि यह उनकी शक्ति बनती है। श्री मोदी ने विद्यार्थियों से अनेक भाषाएं सीखने को कहा क्‍योंकि एक भाषा सीखने से विद्यार्थियों के लिए सदियों पुरानी संस्‍कृति, सभ्‍यता और अनुभव को समझने के लिए द्वार खुलता है। उन्‍होंने गैजेट्स के इस्‍तेमाल पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि भारत में लोग औसतन छह घंटे स्‍क्रीन पर रहते हैं और यह बड़ी चिंता का विषय है। उन्‍होंने यह भी कहा कि नो टेक्‍नोलॉजी जोन घर में बनाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने अभिभावकों को सलाह देते हुए उनसे अपील की कि वे बच्‍चों को आसपास हो रही घटनाओं को देखने और सीखने के लिए प्रेरित करें। उन्‍होंने सलाह दी कि बच्‍चों को घर के भीतर बंद नहीं रखना चाहिए और उन्‍हें उन गतिव‍िधियों को करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो वे समाज में करना चाहते हैं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि बच्‍चों को बीच में टोकना या उनकी आलोचना नहीं की जानी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि अभिभावकों को रचनात्‍मक और सकारात्‍मक तरीके से अवश्‍य आलोचना करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने शिक्षकों को सीखाने का मंत्र देते हुए उनसे कहा कि वे विद्यार्थियों के साथ सशक्‍त संबंध बनाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर कोई विद्या‍र्थी प्रश्‍न कर रहा है तो इसका अर्थ है वह उत्‍सुक है और शिक्षकों को उनकी उत्‍सुकता को बढ़ावा देने की सदैव कोशिश करनी चाहिए।

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