कोरबा (ट्रैक सिटी) कोरबा जिला अपनी समृद्ध जैव-विविधता और दुर्लभ वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। यहां कई बार ऐसे जीव देखने को मिलते हैं जिनसे आम लोग चकित रह जाते हैं। इसी कड़ी में जिले के अजगरबाहर गांव में एक ऐसी घटना घटी , जिसमें मानव और जीवों के बीच प्रेम भावना दिखी, दरअसल कोरबा जिले के सतरेंगा पर्यटन स्थल से लौट रहे कुछ पर्यटको की नजर अजगरबहार गांव के पास एक 10 फीट का किंग कोबरा रोड पार कर ही रहा था उस पर पड़ी और पर्यटकों ने तत्काल गाड़ी रोक दी,देखते ही देखते भीड़ इकट्ठा हो गई वही किंग कोबरा रोड पार न कर के डर से एक किनारे एक छोटी सी झाड़ी में छुप कर बैठ गया, लोगों में देखने की जिज्ञासा से लगातार भीड़ बढ़ने लगा किंग कोबरा एवं लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए,घटना की जानकारी तत्काल वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी की टीम को दी गई। सूचना मिलते ही रेस्क्यूअर जितेंद्र सारथी ने मामले की जानकारी डीएफओ श्री कुमार निशांत को दिया फिर उनके निर्देशानुसार और एसडीओ आशीष खेलवार एवं सुर्यकांत सोनी के मार्गदर्शन में जितेंद्र सारथी अपनी टीम के साथ तुरंत उस स्थान के लिए रवाना हुए। गांव पहुंचने के बाद सबसे पहले पर्यटकों एवं ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी पर किया गया और फिर तय प्रोटोकॉल के तहत रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया।
करीब आधे घंटे तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में किंग कोबरा ने बार-बार फुफकार कर अपना रौद्र रूप दिखाया। सांप के इस व्यवहार को देख पर्यटकों एवं ग्रामीणों की सांसें थम गईं। हालांकि धैर्यपूर्वक और सावधानी से काम करते हुए आखिरकार टीम ने किंग कोबरा को सुरक्षित थैले में डालने में सफलता प्राप्त की। सफल रेस्क्यू के बाद पर्यटकों एवं ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
रेस्क्यू के बाद नियमानुसार पंचनामा तैयार किया गया और फिर किंग कोबरा को उसके प्राकृतिक आवास क्षेत्र में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया। इस पूरे रेस्क्यु ऑपरेशन सीएफओ अजगबहार लखन लाल आर्मी, बीएफओ उत्तम प्रसाद खूंटे, (सचिव) नोवा नेचर मोइज एहमद, सिद्धांत जैन, भूपेंद्र जगत, बबलू मारवा, किशन चंद्रा, अंजय, अतीप तवर, रितेश गुप्ता, कृष्णा दास,कमलेश राज, देवेंद्र राज, देवमरावी, गौतम कुमार, शुभम, आशीष कंवर सहित बड़ी संख्या में पर्यटक एवं ग्रामीण मौजूद रहे।
डीएफओ कुमार निशांत का संदेश
“वन्य जीव हमारे पर्यावरण और जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। किंग कोबरा जैसे दुर्लभ प्राणी हमारे जैव-विविधता की धरोहर हैं। यह हमें नुकसान नहीं पहुँचाते, बल्कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किंग कोबरा, जिसे स्थानीय भाषा में पहाड़ चित्ती भी कहा जाता है, वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम-1972 के अनुसार वर्ग- I में रखा गया है अर्थात् इस जीव को छेड़ने, मारने या किसी भी तरह से नुकसान पहुँचाना अपराध कि श्रेणी में आता है।
किंग कोबरा के एक बाइट से एक वयस्क हाथी की भी जान जा सकती हैं, उसके बाद भी अब तक लोगों को काटने की एक भी घटना सामने नहीं आई हैं जबकि इंसानी आबादी में पाया गया हैं फिर उसे रेस्क्यू कर उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया हैं।
वर्तमान में किंग कोबरा में चल रहे शोध कार्य में पता चला है कि मध्यभारत में छत्तीसगढ़ राज्य के केवल कोरबा जिले में पाया जाता हैं।
दुनिया का सबसे लंबा विषधर सांप है। इसकी लंबाई 20 फीट तक या इससे भी ज़्यादा हो सकती है। यह अन्य सांपों को खाकर जीवित रहता और उनकी जनसंख्या नियंत्रित करता है और विश्व का एकमात्र सांप है जिसकी मादा अपने अंडों के लिए पत्तो का घोंसला बनाती है और लगभग 3 माह तक उस घोंसले की रक्षा करती है। यह विशेषता इसके मातृत्व की अनोखी प्रवृत्ति को दर्शाती है।
विशेषज्ञों का कहना हैं की किंग कोबरा बिना वजह मनुष्य पर हमला नहीं करता, केवल खतरा महसूस होने पर आक्रामक हो जाता है। यही कारण है कि ऐसे मामलों में लोगों को सांप को मारने के बजाय तुरंत वन विभाग को सूचना देनी चाहिए। कोरबा जिले में वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी लगातार जनजागरूकता और रेस्क्यू अभियानों के माध्यम से यह संदेश दे रहे हैं कि इंसान और सांप का सह-अस्तित्व ही संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी पहल है।