कोरबा

महापौर के निर्देश पर जनहित की अनदेखी कर अनुपयोगी कार्यों पर करोड़ों की खर्चा कर रही नगर निगम: कृपाराम साहू

कोरबा/ट्रैक सिटी । नगर पालिक निगम कोरबा के नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने कोरबा की विकास एवं भलाई के लिए महापौर संजू देवी राजपूत पर निशाना साधा है निगम द्वारा कराये जा रहे फिजूलखर्ची के कार्याें के लिए दोषियों पर कार्यवाही किये जाने प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है ।
साहू ने अपने पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि अनावश्यक एवं अनुपयोगी कार्यों का प्रस्ताव बनाकर सौंदर्याकरण के बहाने करोड़ो रूपये का कार्य कराया जा रहा है।


तत्संबंध में बुधवारी बाजार के पास सी.एस.ई.बी.हॉस्पिटल की बॉउंड्रीवाल के बाहर,     जैन मंदिर परिसर की बाउण्ड्री के बाहर तथा कोसाबाडी चैक पर वर्षों से फूटपाथ पर धंधा कर रहे गरीबों को नुकसान पहुंचाने मोटे-मोटे लोहे के पाईप का ग्रील बनाकर ग्रील की दीवार खड़ी कर दी गई। नजीता यह हुआ कि फूटपाथ व्यवसायी उस ग्रील वाली दीवार के बाहर अपनी दुकानें लगाने लगे है जिससे सड़क की चैड़ाई पहले से कम हो जाने से आवागमन बाधित हो रहा है, जाम की स्थिति निर्मित हो रही है । स्पष्ट है कि लाखों रूपये की ग्रील की दीवार बनाने में किया गया खर्च पूरी तरह से अनुपयोगी साबित हो रहा है । जनता को सुविधा को मिलने के बजाय असुविधा हो रही है।


साहू ने अपने पत्र में लिखा है कि ग्रील की दीवार के आगे थर्मो प्लास्टिक रोड मारकिंग का कार्य करवाया जा रहा है जिसमें (NO PARKING) (नो पार्किंग) लिखवाया जा रहा है। यह काफी मंहगा काम है, खर्चीला है। इसके बावजूद इसका कोई उपयोग नहीं है। ( छव् च्।त्ज्ञप्छळ ) लिखे हुए के उपर प्रतिदिन ठेला, वाहन, अन्य सामान पड़े रहते है।अर्थात इतना खर्चीला थर्मो प्लास्टिक का कराया गया कार्य का जनहित में कोई उपयोग नहीं है ।

यह सब फिजूलखर्ची कार्य महापौर के कार्यकाल की है। आर्थिक अनियमितता का आरोप न लगे इसके लिए निगम के अधिकारियों द्वारा एक सोची समझी चाल के तहत करोडो के काम को टुकड़ो-टुकड़ों में प्राकक्लन बनाकर मरम्मत संधारण मद से वार्षिक दर निर्धारण टेंडर के माध्यम से छोटा-छोटा कार्यादेश जारी कर कार्य कराया जा रहा है जिसमें पैसे की बर्बादी हो रही है। इसे नगर पालिक निगम कोरबा के अधिकारियों की सोझी समझी चाल कहें या महापौर के निर्देशों के पालन करने की मूजबूरी कहें । यह तो निश्चित है कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा (जो निगम को टैक्स के रूप में भुगतान किया जाता है) को कमीशन के चक्कर में फिजूलखर्ची कर बर्बाद किया जा रहा है।

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