*4 तहसील से बढ़कर 12 हुई*
*1 नवम्बर को 5500 अधिकार अभिलेख का होगा वितरण*
कोरबा (ट्रैक सिटी)/ छत्तीसगढ़ राज्य के गठन वर्ष 2000 में कोरबा जिले में मात्र चार तहसीलें — कोरबा, करतला, कटघोरा और पाली — ही हुआ करती थीं। उस समय सीमित प्रशासनिक ढांचे के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने राजस्व प्रकरणों के समाधान के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। प्रकरणों की अधिकता और सीमित संसाधनों के कारण न्याय मिलने में भी देरी होती थी।
बीते 25 वर्षों की विकास यात्रा में कोरबा जिले ने प्रशासनिक विस्तार और जनता की सुविधा की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। बढ़ती जनसंख्या और ग्रामीण अंचलों की जरूरतों को देखते हुए राज्य सरकार ने लगातार नई तहसीलों का गठन किया। आज जिले में कुल 12 तहसीलें कार्यरत हैं —
कोरबा, करतला, कटघोरा, पाली, पोड़ीउपरोड़ा, अजगरबहार, भैसमा, बरपाली, दर्री, दीपका, हरदीबाजार और पसान।
विगत वर्षों में बनी नई तहसीलों ने राजस्व सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है।
नई तहसीलों के गठन वर्ष:
पोड़ीउपरोड़ा – 2008
हरदीबाजार – 2020
दर्री – 2020
अजगरबहार – 2022
भैसमा – 2022
बरपाली – 2022
दीपका – 2022
पसान – 2022
इन नई तहसीलों के गठन से न केवल ग्रामीणों की प्रशासनिक पहुंच आसान हुई, बल्कि राजस्व मामलों के निपटारे में भी तेजी और पारदर्शिता आई है। कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा राजस्व के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न सिर्फ हर 15 दिनों में राजस्व अधिकारियों की बैठक ली जाती है, प्रकरणों का समय पर निराकरण सुनिश्चित हो सके, इस दिशा में वे समीक्षा करते हुए राजस्व अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्यवाही की जानकारी भी लेते हैं। तहसील न्यायालयों के प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण कराना उनकी प्राथमिकता में होती है।
*राजस्व प्रकरणों के निराकरण में हर साल हुई वृद्धि*
राजस्व वर्ष 2023-24 में कुल 12,578 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 5,828 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं वर्ष 2024-25 में 16,565 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें से 12,642 प्रकरणों का निराकरण कर लिया गया — जो कि 76.31 प्रतिशत की उत्कृष्ट सफलता दर है।
यह वृद्धि बताती है कि कोरबा जिले में प्रशासनिक क्षमता और सेवा दक्षता दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
*स्वामित्व योजना में भी हुई है प्रगति*
स्वामित्व योजना के तहत भी जिले ने सराहनीय प्रगति की है। अब तक 9,114 अधिकार अभिलेख का वितरण किया जा चुका है तथा आगामी 1 नवम्बर 2025 को 5,500 अधिकार अभिलेखों का वितरण किया जाएगा। यह पहल ग्रामीणों को अपने भू-स्वामित्व का अधिकार प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।
यह 25 वर्षों की कहानी है बदलते कोरबा की, जहाँ शासन की पहुँच जनता तक, और जनता की आवाज शासन तक पहुँची है। राजस्व प्रशासन के इस सुदृढ़ीकरण ने कोरबा जिले को विकास और सुशासन की नई पहचान दी है। यह आमनागरिको के लिए बहुत सहूलियत साबित हो रही है।
 
				 
					


