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शिक्षकविहीन स्कूलों में लौटी रौनक: युक्तियुक्तकरण से बदली धमधा ब्लॉक के विद्यालयों की तस्वीर।

(ट्रैक सिटी)/ कभी शिक्षकों की कमी से जूझ  रहे दुर्ग जिले के धमधा विकासखण्ड के सरकारी हाई स्कूलों में अब फिर से शिक्षा की रौनक लौट आई है। वर्षों से शिक्षकविहीन चार ग्रामीण हाई स्कूलों में शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में किए गए युक्तियुक्तकरण के तहत व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है। इससे न सिर्फ पढ़ाई की रफ्तार बढ़ी है, बल्कि छात्रों में भी नया उत्साह देखा जा रहा है।

इन स्कूलों में लौटी रौनक:

धमधा विकासखण्ड के शासकीय हाई स्कूल सिलितरा, बिरेझर, दनिया और पुरदा में लंबे समय से स्वीकृत पद होने के बावजूद व्याख्याता नहीं थे। विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे अहम विषयों की पढ़ाई लगभग ठप थी, जिससे कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों का भविष्य संकट में था। अब सिलितरा, बिरेझर और दनिया में चार-चार तथा पुरदा में तीन व्याख्याता नियुक्त किए गए हैं। इस बदलाव के साथ ही स्कूलों में पढ़ाई का माहौल फिर से जीवित हो गया है।

नियमित कक्षाएं, विषय विशेषज्ञों का मार्गदर्शन:

नवीन शिक्षकों की पदस्थापना के बाद अब सभी विषयों के लिए शिक्षक उपलब्ध हो गए हैं और कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं। इससे विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए बेहतर मार्गदर्शन मिल रहा है। कक्षा 9वीं के छात्र रोहित साहू बताते हैं, “पहले तो सिर्फ नाम के लिए स्कूल आते थे, पढ़ाई कुछ खास नहीं हो पाती थी। अब हर विषय के लिए अलग-अलग शिक्षक हैं, जिससे पढ़ाई में रुचि बढ़ी है।”

सिलितरा स्कूल के प्रभारी प्रधान पाठक ने कहा, “विगत वर्षों में शिक्षकों की भारी कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। अब युक्तियुक्तकरण से मिली नई नियुक्तियों के कारण फिर से शिक्षा का वातावरण बना है।”

ग्राम पंचायत के सरपंच ने इस पहल का स्वागत करते हुए छत्तीसगढ़ शासन का आभार जताया और कहा, “यह निर्णय हमारे गांव के बच्चों के भविष्य को नई दिशा देने वाला है।”

एकल शिक्षकीय स्कूल भी बदला:

पहले एकल शिक्षकीय रहे शासकीय हाई स्कूल पेन्ड्री कु. में भी बड़ा सुधार हुआ है। पहले जहां केवल एक व्याख्याता थे, वहीं अब तीन व्याख्याता नियुक्त कर दिए गए हैं। इससे स्कूल का शैक्षणिक वातावरण पूरी तरह बदल गया है और विद्यार्थियों को हर विषय में बेहतर मार्गदर्शन मिल पा रहा है।

ग्रामीण शिक्षा को नई दिशा:

नवपदस्थ शिक्षक भी ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देकर प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि गांव के बच्चों में सीखने की गहरी ललक होती है और वे उन्हें पूरी निष्ठा से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने को प्रतिबद्ध हैं। युक्तियुक्तकरण की यह पहल ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था के लिए सकारात्मक बदलाव का संकेत है। धमधा ब्लॉक के ये स्कूल अब उदाहरण बनकर सामने आ रहे हैं कि सही समय पर शिक्षकों की उपलब्धता से कैसे शिक्षा की दिशा और दशा दोनों बदली जा सकती है।

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