Korba

‘संकट में सुरक्षा की सीख’ बाढ़ और क्लोरीन गैस रिसाव पर कोरबा में “आपदा प्रबंधन मॉक ड्रिल’’ नागरिकों को मिली आपदा से निपटने की उपयोगी जानकारी।

कोरबा (ट्रैक सिटी)/ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली तथा छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देशानुसार जिला आपदा प्रबंधन के संयुक्त तत्वाधान में जिला प्रशासन कोरबा द्वारा आज जिले में दो महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल अभ्यासों का सफल आयोजन किया गया। इन अभ्यासों का उद्देश्य आमजन को आपदा व डूबने की स्थिति में त्वरित बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी देना और संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली का परीक्षण करना रहा। कटघोरा स्थित राधासागर तालाब में जलजनित आपदा से निपटने हेतु मॉक ड्रील का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत एक काल्पनिक स्थिति तैयार की गई, अचानक भारी वर्षा के कारण जलस्रोतों में जलस्तर बढ़ गया और कुछ लोग पानी में फँस गए। इस स्थिति में बचाव दलों ने वास्तविक परिस्थिति की तरह तत्काल कार्रवाई की। रेस्क्यू टीम ने लाइफ जैकेट, रस्सियों और नाव की मदद से तालाब में फँसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस दौरान 05 पुरुष और 02 महिलाओं को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर लाने का अभ्यास किया गया।

सबसे पहले प्रशिक्षित गोताखोरों और रेस्क्यू टीम ने पानी में फँसे व्यक्तियों की पहचान की, फँसे व्यक्तियों तक रस्सियाँ और लाइफ जैकेट पहुँचाई गईं, नाव और टीम के सहयोग से सभी व्यक्तियों को पानी से बाहर लाकर किनारे तक पहुँचाया गया, मेडिकल टीम ने तत्काल मौके पर ही उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। डूबने की स्थिति में कृत्रिम श्वसन (सीपीआर), ऑक्सीजन सपोर्ट और प्राथमिक दवाओं का प्रदर्शन किया गया और गंभीर स्थिति के अनुमानित मरीजों को एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया का भी अभ्यास किया गया।

इसी क्रम में कोहड़िया स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन गैस रिसाव पर आधारित मॉक ड्रील का आयोजन किया गया। क्लोरीन गैस का उपयोग पेयजल शोधन के लिए किया जाता है, किंतु इसका अधिक मात्रा में रिसाव मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। अभ्यास में यह स्थिति बनाई गई कि संयंत्र में अचानक क्लोरीन गैस का रिसाव हो गया है। जैसे ही अलार्म बजा, आपदा प्रबंधन टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों और आसपास मौजूद लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। गैस रिसाव को नियंत्रित करने के लिए सिलेंडर को बंद करने, वाटर स्प्रे कर प्रभावित क्षेत्र को सील करने और गैस को फैलने से रोकने के उपायों का प्रदर्शन किया गया।

मेडिकल टीम ने गैस से प्रभावित व्यक्तियों का प्राथमिक उपचार किया। उन्हें ताजी हवा में लाया गया, आँखों और त्वचा को साफ पानी से धोने की प्रक्रिया दिखाई गई तथा सांस लेने में कठिनाई होने पर ऑक्सीजन सपोर्ट प्रदान किया गया, साथ ही उपस्थित लोगों को विस्तार से बताया कि क्लोरीन गैस के संपर्क में आने से खाँसी, सांस लेने में कठिनाई, आँखों में जलन, गले में खराश और सिरदर्द जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। गंभीर स्थिति में यह फेफड़ों को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में व्यक्ति को तुरंत दूषित वातावरण से बाहर निकालना चाहिए, प्रभावित स्थान को खाली करना चाहिए और चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए।इन दोनों मॉक ड्रिल अभ्यासों के माध्यम से आम नागरिकों को यह संदेश दिया गया कि आपदा चाहे प्राकृतिक हो जैसे बाढ़ अथवा औद्योगिक क्लोरीन गैस रिसाव, सतर्कता, समय पर प्रतिक्रिया और प्रशिक्षित बचाव तंत्र ही जन-जीवन की सुरक्षा की कुंजी है। आपदा के समय घबराएँ नहीं, बल्कि प्रशासनिक निर्देशों का पालन करते हुए संयम और सजगता से कार्य करें। यह सिखाते हैं कि संकट की घड़ी में कैसे स्वयं को और दूसरों को सुरक्षित रखा जाए। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस बल, एनडीआरएफ, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका, अग्निशमन दल तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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