जांजगीर-चाँपा

सिघाड़ा की खेती से हो रही है धन की वर्षा जिले में सिंघाड़ा की खेती से हो रही लाखों की कमाई,

जांजगीर-चाम्पा/ जांजगीर-चाम्पा के अकलतरा ब्लॉक ग्राम-बरगवा के किसानों को मिल रही लाभ जिले में किसान अब पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी फसलों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं, क्योंकि ये फसलें कम लागत में भी किसानों को बेहतर उत्पदान और आमदनी कमाने का मौका देती हैं. बागवानी फसलों की खेती में मेहनत और समय भी कम खर्च होता है. जिसके चलते खेती का खर्च भी काफी कम हो जाता है.सिंघारा की खेती
सिंघारा एक जलीय फल है, जिसकी खेती तालाब, पोखर या फिर खाली पड़े खेतों में भी की जा सकती है. पिछले कुछ सालों में सिंघारा किसानों के लिये आमदनी का बेहतरीन स्रोत बन चुका है. कई किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ तालाबों में सिंघारा की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है। आमतौर पर छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया जाता है लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमाया जा रहा है संत लाल धीवर:-
आज़ मै सिघाड़ा की खेती के माध्यम से मै अपना घर परिवार चला रहा हूँ पिछले साल की अपेक्षा इस साल अच्छी आमदनी हो रही है हम जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाते है इस साल छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाड़े का बीच बोया हूँ लेकिन मिट्टी के खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरके भी पौधों की रोपाई की जाती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से बढ़िया मुनाफा कमा करें है रामेश्वर प्रसाद धीवर:-
मै खेती किसानी के साथ मछली पालन भी कर रहा हूँ साथ में सिघाड़ा की खेती कर रहा हूँ दो तालाब खुद की बाकी तलाब को ग्राम पंचायत से लीज पर लिया हूँ, आज़ अच्छी आमदनी हो रही है, आज़ मै कई परिवारों को रोजगार दिया हूँ सिघाड़ा की फ़सल को छः महीना पहले से रोपाई तैयार की जाती है उसके बाद, पौधे तैयार होने के बाद दूसरे तलाब पर ले जाके ट्रांसफर करते है, आज़ सभी तलाब की फ़सल की कर रहे है भूपेंद्र कुमार धीवर:-
मै बीए पढ़ाई की है हमारे दादा समय से सिघाड़ा की खेती करते आ रहे, अब हम भी सिघाड़ा खेती कर रहे क्योंकि आज सभी रोजगार मिलना मुश्किल है, इसलिए खुद की रोजगार होना जरूरी है, आज़ सिघाड़ा की खेती से अच्छी आमदनी हो रही है बाजार पर आज़ 70+80किलो बिक रहा है इस वर्ष दीपावली पर अच्छी आमदनी होंगी रामेश्वर प्रसाद धीवर:-
मै खेती किसानी के साथ मछली पालन भी कर रहा हूँ साथ में सिघाड़ा की खेती कर रहा हूँ दो तालाब खुद की बाकी तलाब को ग्राम पंचायत से लीज पर लिया हूँ, आज़ अच्छी आमदनी हो रही है, आज़ मै कई परिवारों को रोजगार दिया हूँ सिघाड़ा की फ़सल को छः महीना पहले से रोपाई तैयार की जाती है उसके बाद, पौधे तैयार होने के बाद दूसरे तलाब पर ले जाके ट्रांसफर करते है, आज़ सभी तलाब की फ़सल की कर रहे है राजू आदित्य सिघाड़ा किसान:-
लगभग करीब 30साल से ऊपर हो गया है सिघाड़ा की खेती करते अच्छी आमदनी हो जाती है सिघाड़ा खेती के साथ मै मछली पालन करता हूँ मतलब एक तलाब पर दो फ़सल ले रहा हूँ अच्छी आमदनी हो रही है साथ में मै रोजगार पर पर भी रखा हूँ 3परिवार को डेली का उनका काम होता है तलाब से सिघाड़ा निकालना और बाजार में बेचकर आना

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