Raipur

राज्य में ‘‘आउटपुट-आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क’’ के आधार पर होगी योजनाओं की मॉनिटरिंग।  

डी.एम.ई.ओ., नीति आयोग, भारत सरकार एवं राज्य नीति आयोग के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन।

रायपुर (ट्रैक सिटी)/ राज्य नीति आयोग, छत्तीसगढ़ द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार के डेवलपमेंट मानिटरिंग एंड इवैल्यूएशन आफिस (डी.एम.ई.ओ. ) के सहयोग से राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए मानिटरिंग एंड इवैल्यूएशन (एम. एण्ड ई.) पर 20 और 21 मार्च को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्देश्य सरकारी योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन की प्रभावशीलता को बढ़ाना तथा डेटा-आधारित नीति-निर्माण को सुदृढ़ करना है। कार्यशाला में भाग लेने डी.एम.ई.ओ., नीति आयोग, भारत सरकार की महानिदेशक श्रीमती निधि छिब्बर राज्य प्रवास में हैं। कार्यशाला में मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. धीरेंद्र तिवारी, राज्य नीति आयोग के सदस्य डॉ. के. सुब्रमण्यम, योजना विभाग के सचिव श्री अंकित आनंद, डी.एम.ई.ओ. की टीम तथा राज्य नीति आयोग के सदस्य सचिव डॉ. नीतू गोरडिया भी उपस्थित रहे।

इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को सरकारी योजनाओं की मानिटरिंग और मूल्यांकन की नवीनतम पद्धतियों पर प्रशिक्षण दिया गया। डी.एम.ई.ओ. की विशेषज्ञ टीम ने अधिकारियों को यह बताया कि योजनाओं के प्रभावी मूल्यांकन के लिए डेटा संग्रह, विश्लेषण एवं रिपोर्टिंग कैसे की जाए, ताकि नीतिगत निर्णय अधिक प्रभावशाली और परिणामोन्मुखी हों।

डी.एम.ई.ओ. के प्रशिक्षकों ने डेटा गवर्नेंस, गुणवत्ता संकेतक (क्वालिटी इंडिकेटर्स), परिणाम-आधारित मानिटरिंग (आउटपुट व आउटकम आधारित) एवं मूल्यांकन प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी प्रदान की। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वैज्ञानिक रूप से योजनाओं की निगरानी कर उनके प्रभाव को मापा जाए, ताकि सरकारी नीतियां अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बन सकें।

राज्य नीति आयोग के सदस्य डॉ. के. सुब्रमण्यम ने इस अवसर पर कहा कि, इस कार्यशाला के माध्यम से अधिकारियों को योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन की आधुनिक तकनीकों से परिचय कराया जा रहा है। जिससे वे अपने विभागीय योजनाओं में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।

अपने संबोधन में श्रीमती निधि छिब्बर ने कहा कि, मानिटरिंग और इवैल्यूएशन (एम.एण्ड ई.) एक प्रभावी शासन प्रणाली की आधारशिला है। नीति आयोग भारत सरकार द्वारा योजनाओं के प्रभावी मूल्यांकन व निगरानी तंत्र के लिए केंद्र में डी.एम.ई.ओ. की स्थापना की गयी है। राज्य में भी इसी तरह की संस्था बनायी जानी है। यह कार्यशाला इसका प्रारंभिक बिंदु है। राज्य में इस कार्यशाला हेतु नीति आयोग के स्टेट सपोर्ट मिशन से सहायता प्रदान की जा रही है और आगे भी नीति आयोग राज्य की बेहतरी के लिए सहयोग प्रदान करते रहेगा।

डॉ. धीरेंद्र तिवारी, मुख्यमंत्री के सलाहकार ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार नीति-निर्माण में डेटा-आधारित दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यशाला से राज्य के अधिकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को बेहतर तरीके से मापने और विश्लेषण करने में सक्षम होंगे।

योजना विभाग के सचिव श्री अंकित आनंद ने इस कार्यशाला को राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए कहा कि, इस प्रशिक्षण से सरकारी योजनाओं की दक्षता और पारदर्शिता में सुधार होगा, जिससे राज्य के विकास कार्यक्रमों को नई दिशा मिलेगी।

कार्यशाला के विषय में राज्य नीति आयोग की सदस्य सचिव डॉ. नीतू गोरडिया ने बताया कि मानिटरिंग व इवैल्यूएशन निगरानी का प्रमुख आधार है। आयोग पहले भी सतत विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को प्राप्त करने इण्डिकेटर्स की मानिटरिंग कर रहा है। इस कार्यशाला से डाटा संग्रहण और निगरानी तंत्र में सुधार होगा। आने वाले समय में राज्य नीति आयोग और डी.एम.ई.ओ., नीति आयोग के सहयोग से इस तरह की और कार्यशालाएं आयोजित करने की योजना बना रहा है, ताकि छत्तीसगढ़ में डेटा-संचालित शासन प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

कार्यशाला में डी.एम.ई.ओ., नीति आयोग, भारत सरकार के निदेशक श्री अबिनाश दास एवं श्री देवी प्रसाद भुक्या व उनकी एक्सपर्ट टीम द्वारा आउटपुट-आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क, डाटा गर्वनेंस क्वालिटी इंडेक्स एवं लॉजिकल फ्रेमवर्क के बारे में प्रस्तुतीकरण व परिचर्चा की गई।

उक्त कार्यशाला में सुशासन एवं अभिसरण विभाग, उच्च शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, पंचायत, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्कूल शिक्षा, खाद्य विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, योजना विभाग सहित अन्य विभागों के राज्य एवं जिला स्तरीय वरिष्ठ अधिकारीगण शामिल हुये।

 

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