कोरबा

रेल मामलों का मुद्दा संसद में उठा, रेलमंत्री ने कोरबा सांसद को दिया जवाब

 अंडर ब्रिज, ओव्हर ब्रिज की प्रगति पर किए सवाल

कोरबा/ संसद सत्र में कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने अंडर ब्रिज और ओव्हर ब्रिज सहित चौकीदार व चौकीदार रहित फाटक के मुद्दे पर रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव से जवाब मांगा।
रेल मुद्दों पर लगातार मुखर सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत ने लोकसभा में रेल, संचार एवं इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव से यह भी जानना चाहा कि क्या छत्तीसगढ़ में कितने रेल उपरि/रेल अधोगामी पुल का निर्माण प्रस्तावित है और पूर्व में प्रस्तावित निर्माण कार्य में जिला वार कितनी प्रगति हुई है? ज्ञात रहे कि कोरबा जिले में यातायात की बढ़ती समस्या और रेल क्रासिंग पर फाटकों का हर घंटे-आधे घंटे में बंद होने के कारण बिगड़ते व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए 6 अलग-अलग क्रासिंग पर अंडरब्रिज का निर्माण कराया जाना है किन्तु काफी लंबा समय बीतने के बाद भी इसमें कोई प्रगति अब तक देखने को नहीं मिली है। सांसद ने कोरबा-चाम्पा रेल ओव्हर ब्रिज का निर्माण निर्धारित समय सीमा पूर्ण होने के बाद भी पूरा नहीं होने पर सवाल किया है। यह भी पूछा है कि उक्त कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जाएगा? जवाब में रेल मंत्री ने बताया कि चाम्पा यार्ड, रेलवे भाग में समपार संख्या 337 के स्थान पर आरओबी का कार्य रेलवे द्वारा अगस्त 2021 में पूरा कर लिया गया है। पहुंच मार्गों पर राज्य सरकार द्वारा कार्य कराया जा रहा है।
इसके अलावा कोरबा सांसद संसदीय क्षेत्र में रेल संबंधी समस्याओं और मांगों व मुद्दों पर भी लगातार केंद्रीय रेल मंत्री एवं रेल अधिकारियों से संपर्क में हैं। सांसद ने रेल अधिकारियों को कहा है कि जनता अपनी उपेक्षा से काफी उद्वेलित है और कभी भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। सांसद ने कोरबा प्रवास के दौरान रेल मुद्दों पर डीआरएम को पत्र लिखा है। सांसद ने कहा है कि बंद पड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन से लेकर ट्रेनों का पूर्ववत् फेरा बढ़ाए जाने की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और इस तरह की उपेक्षा बर्दाश्त से बाहर है। इस पर भी जानकारी मिली है कि शिवनाथ एक्सप्रेस को गेवरा रोड से कोरबा तक 37 दिनों के लिए रद्द कर दिया गया है। गेवरा रोड के यात्रियों को कोरबा से ट्रेन पकड़नी होगी जो कि कष्टप्रद होगा। सांसद ने कहा है कि यात्री ट्रेनों और सुविधाओं की अपेक्षा परिवहन कार्य में रेलवे ज्यादा रुचि दिखा रहा है जिससे आम जनता काफी परेशान होने लगी है। यदि जनता का आक्रोश फूटा तो रेलवे प्रशासन जिम्मेदार होगा।

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