कोरबा (ट्रैक सिटी)/ कोरबा जिले के ग्राम पंचायत चुहिया के भटगांव में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते एक पहाड़ी कोरवा महिला और उसके नवजात की मौत हो गई। घटना ने न केवल चिकित्सा तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले इस संवेदनशील समुदाय के प्रति शासन-प्रशासन की उदासीनता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, गर्भवती मंगई (पति अमर सिंह), निवासी भटगांव, को अचानक दोपहर प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने तत्काल महतारी एक्सप्रेस 102 को कॉल कर अजगरबहार प्राथमिक केंद्र पहुंचाया। वहां ड्यूटी पर मौजूद भुवनेश्वरी चंद्रवंशी ने नॉर्मल डिलीवरी कराई। डिलीवरी के बाद कुछ देर तक जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ थे। लेकिन अचानक दोनों की तबीयत बिगड़ गई और 15 जून दोपहर करीब 2:30 बजे उनकी मौत हो गई। हैरानी की बात यह रही कि इतने गंभीर मामले के बावजूद शवों को जिला अस्पताल 108 एंबुलेंस से शाम 6 बजे के आसपास भेजा गया, जो कि चिकित्सा अमले की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।घटना के वक्त अस्पताल प्रभारी विमलेश्वरी की अनुपस्थिति ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। परिजनों का आरोप है कि समय पर उचित इलाज और रेफर की प्रक्रिया होती तो दोनों की जान बच सकती थी। अब सवाल यह उठता है कि जब डिलीवरी सामान्य थी और महिला व नवजात ठीक थे, तो कुछ ही मिनटों में मौत कैसे हो गई? यह मामला न केवल चिकित्सा जांच का विषय है, बल्कि प्रशासनिक कार्यवाही की मांग भी करता है। जिला प्रशासन से स्थानीय जनप्रतिनिधियों व आदिवासी समाज ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
