कोरबा

मोक्षदा एकादशी….(श्री गीता जयंती) कब मनाया जायेगा

मोक्षदा एकादशी..।।श्री गीता जयंती

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी’ (श्री गीता जयंती ) कहां जाता है जो इस बार 4 दिसंबर 2022,रविवार को है।

एकादशी तिथि की शुरुआत

3 दिसंबर 2022, शनिवार सुबह 05:35 मिनट से

एकादशी तिथि का समापन

4 दिसंबर 2022, रविवार सुबह 05:57 मिनट पर

एकादशी व्रत के पारण का समय 

5 दिसंबर 2022, सोमवार को सुबह 07:15 से 09:15 बजे तक

विशेष
एकादशी का व्रत द्वादशी युक्त सूर्योदय तिथि 4 दिसंबर 2022, रविवार के दिन ही रखें …. शनिवार एवं रविवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें ❌ भले ही आपने व्रत ना रखा हो…. फिर भी चावल या चावल से बनी हुई चीज का खाना वर्जित है।

विशेष सभी वैष्णव जन एकादशी का व्रत द्वादशी युक्त एकादशी 4 दिसंबर 2022 ,रविवार को रखें

शनिवार को दशमी तिथि प्रातः 5:33 तक रहेगी। उसके बाद एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी इस दिन सूर्योदय 7:00 पर होगा जो कि दशमी तिथि में ही होगा।

( दशमी तिथि से मिली हुई एकादशी को दशमी भेदा कहा जाता है। और इसका व्रत वैष्णव जन नहीं करते हैं।)

रविवार को एकादशी तिथि प्रातः 5.57 तक ही रहेगी । उसके बाद द्वादशी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। इस दिन सूर्योदय 7.00 पर होगा।आज के ही दिन एकादशी तिथि मानी जायेगी।

( द्वादशी तिथि से मिली हुई एकादशी को द्वादशी भेदा कहा जाता है और इसका व्रत वैष्णव जनों के लिए श्रेष्ठ माना गया है।)

अतः मोक्षदा एकादशी का व्रत 4-12-2022 रविवार को मनाया जायेगा।

धर्म सिंधु के अनुसार …………..

एकादशी तिथि मुख्यत: दो प्रकार की होती है :

1) विद्धा
2) शुद्धा

विद्धा – सूर्योदय काल में दशमी का वेध हो अथवा अरुणोदयकाल (सूर्योदय से लगभग चार घड़ी पूर्व) में एकादशी तिथि दशमी द्वारा विद्धा हो, तो वह (एकादशी) विद्धा कहलाती है।

शुद्धा – सूर्य उदयकाल में दशमी तिथि के वेध से रहित एकादशी शुद्धा मानी जाती है।

वैष्णव जनों के लिए प्रायः सभी शास्त्रों में *दशमी से युक्त एकादशी का व्रत करने का निषेध ❌माना गया है जबकी स्मार्त संप्रदाय वाले व्रत रख सकते हैं।

परन्तु द्वादशी तिथि के क्षय हो जाने पर स्मार्तों को दशमीयुकत { 3 दिसंबर 2022, शनिवार } एवं वैष्णव सम्प्रदाय वालों को द्वादशी-त्रयोदशीयुकत { 4 दिसंबर 2022, रविवार } एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए।

शास्त्रों में स्मार्तों के लिए त्रयोदशी में पारण भी सर्वथा वर्जित माना गया है परन्तु द्वादशी तिथि के क्षय होने की स्थिति में स्मार्त जन व्रत का पारण त्रयोदशी में ही करेंगे और ऐसा करने पर वह दोष के भागी नहीं होंगे।

द्वितीय नियम

निर्णय सिंधु के अनुसार
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विशेष : दशमी विद्धा एकादशी न होने पर भी,पूर्ण शुद्ध एकादशी अगर 56 घडी से 1पल भी ज्यादा होती है तो उसका व्रत दूसरे दिन रखा जाता है उस दिन नहीं रखा जाता है।
चाहे दूसरे दिन एक भी घडी पल के लिए एकादशी नहीं हो। प्रातः से ही द्वादशी तिथि हो। फिर भी उस दिन एकादशी का व्रत पूर्ण शुद्ध फल दायक माना जाता है।

व्रत-उपवास आदि करने वालों को ‘वैष्णव संप्रदाय’ व ‘स्मार्त संप्रदाय’ में भेद का ज्ञान होना अतिआवश्यक है

वैष्णव’ व ‘स्मार्त’ का भेद।

वैष्णव संप्रदाय‘-

जिन लोगों ने किसी विशेष संप्रदाय के धर्माचार्य से दीक्षा लेकर कंठी-तुलसी माला, तिलक आदि धारण करते हुए तप्त मुद्रा से शंख-चक्र अंकित करवाए हों, वे सभी ‘ वैष्णव संप्रदाय के अंतर्गत आते हैं।

स्मार्त संप्रदाय

वे सभी जो वेद-पुराणों के पाठक, आस्तिक, पंच देवों (गणेश, विष्णु,‍ शिव, सूर्य व दुर्गा) के उपासक व गृहस्थ हैं, वे सभी ‘ स्मार्त संप्रदाय’ के अंतर्गत आते हैं।

अगर हम दसवींयुक्त एकादशी का व्रत रखे तो हमारे जीवन में आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है.. जिस से हमें आगे जाकर बहुत से दुख और संकटों का सामना करना पड़ सकता है.. क्योंकि दसवीं के दिन दैत्यों का जन्म हुआ था और दसवीं के दिन व्रत रखने से हमारे अब तक के सभी पुण्योका नाश हो जाता है ..इसीलिए दशमी युक्त एकादशी का व्रत शास्त्रों में करने का निषेध है।

पंचांग के अनुसार सर्व सम्मत 4 दिसंबर 2022, रविवार को व्रत की एकादशी मान्य रहेगी… 3 दिसंबर 2022, शनिवार के दिन आप श्री गीता जयंती मना सकते है एवं श्रीमदभागवत गीता के अध्याय कर सकते है।

पंडित नागेंद्र नारायण शर्मा

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