एमसीबी

युक्तियुक्तकरण से शिक्षक पहुंचे गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के दूरस्थ गांव

बड़गांव खुर्द, देवशील, ढाब तथा खोखनिया

*एमसीबी (ट्रैक सिटी) जिले के सुदूर और वनांचल क्षेत्र भरतपुर विकासखंड में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिला है। लंबे समय से शिक्षक विहीन या केवल एक शिक्षक के सहारे संचालित हो रहे प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं को आखिरकार योग्य शिक्षक मिल गए है। यह संभव हो सका है राज्य शासन द्वारा संचालित युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के सफल क्रियान्वयन से जिसने वर्षों से शिक्षा की कमी से जूझ रहे गांवों में नई उम्मीदें जगा दी हैं। भरतपुर विकासखंड के प्राथमिक शाला बरेल और प्राथमिक शाला नेऊर कई वर्षों से शिक्षक विहीन थी। इन दोनों स्कूलों में अब शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं। इसी प्रकार 69 प्राथमिक शालाएं ऐसी थीं, जहां केवल एक-एक शिक्षक कार्यरत थे, जिन पर बच्चों की पूरी जिम्मेदारी थी। अब युक्तियुक्तकरण के बाद इन सभी स्कूलों में अतिरिक्त शिक्षकों की पदस्थापना से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
सबसे उल्लेखनीय बदलाव हाई स्कूल बड़गांव खुर्द में देखने को मिला है, जो गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक अत्यंत दुर्गम और पहुंच विहीन गांव है। यहां वर्षाे से केवल एक अतिथि शिक्षक के भरोसे 26 बच्चों की पढ़ाई हो रही थी। ग्रामीण लगातार शिक्षक की मांग कर रहे थे, लेकिन सुनवाई नहीं हो पा रही थी। अब युक्तियुक्तकरण के तहत यहां गणित और हिंदी विषय के व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है। जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
इसी तरह देवशील, ढाब और खोखनिया जैसे वनवासी क्षेत्रों में स्थित शालाओं में भी वर्षों से शिक्षक की भारी कमी थी। देवशील गांव के प्राथमिक शाला में 57 बच्चे हैं, लेकिन केवल एक शिक्षक कार्यरत था। अब एक और शिक्षक की नियुक्ति यहां की गई है। ढाब गांव के स्कूल में भी शिक्षक की मांग लंबे समय से उठ रही थी, जिसे अब युक्तियुक्तकरण से पूरा किया गया है। खोखनिया गांव में प्राथमिक शाला में एक और माध्यमिक शाला में दो शिक्षकों की पदस्थापना हुई है। यहां कुल 87 बच्चे पंजीकृत हैं, जो अब बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इन दुर्गम गांवों के ग्रामीणों ने शासन और शिक्षा विभाग के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि अब उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा। युक्तियुक्तकरण ने न केवल स्कूलों को शिक्षक दिए हैं, बल्कि गांवों में शिक्षा की अलख भी जगा दी है।

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