रायपुर

रागी भी अपनी, लड्डू भी अपने फ़ायदा सबका

अपना मटेरियल-अपना प्रोडक्ट की थीम पर ओटगन गौठान में हो रहा रागी लड्डू का उत्पादन

साठ रुपए पैकेट लड्डू की स्थानीय मार्केट में भारी माँग, शुरुआत में ही दस हज़ार रुपए का फ़ायदा

ट्रैक सिटी न्यूज़। ज़िले के तिल्दा विकासखंड के ओटगन गौठान अब अपना मटेरियल-अपना प्रोडक्ट की राह पर चल पड़ा है। इस गौठान में महिला स्व सहायता समूह की सदस्य गौठान की बाड़ी में उपजाई रागी से लड्डू बनाने का काम शुरू कर चुकी है । पहले ही ऑर्डर पर इन महिलाओं को लगभग दस हज़ार रुपए का फ़ायदा हुआ है। ओटगन गौठान के रागी के लड्डुओं की स्थानीय बाज़ार में ख़ासी माँग है। महिला समूह अपने इस स्पेशल प्रोडक्ट को साठ रुपये प्रति पैकेट के दाम पर स्थानीय बाज़ार में बेच रही है। ख़ास बात ये है कि कामधेनु स्व सहायता समूह की सदस्य लड्डू बनाने के लिए रागी बाज़ार से नहीं ख़रीदती। लड्डू बनाने के लिए रागी का उत्पादन गौठान से लगी बाड़ी में खेती कर हो रहा है।


ओटगन ग्राम पंचायत की सचिव श्रीमती शकुंतला नारंग ने बताया कि ओटगन गौठान से लगी बाड़ी में एक एकड़ रकबे में महिला समूह की सदस्य रागी की खेती कर रही है।पिछले सीजन रागी के लड्डू बेचकर दस हज़ार रुपये के फ़ायदे ने महिलाओं की इस व्यवसाय को बढ़ाने की तरफ़ प्रेरित किया है । इसके साथ ही मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार के मिलेट मिशन ने कामधेनु समूह की आशाओं को नए पंख लगा दिए है।
ओटगन गौठान में कई आय मूलक गतिविधियाँ की जा रही है । महिलाएँ गोबर के दिए बनाने से लेकर पापड़, साबुन, पंचगव्य से कीटनाशक ब्रह्मास्त्र तक बना रही है। मुर्गीपालन और बकरीपालन से भी इन महिलाओं को अच्छा लाभ हो रहा है।
कामधेनु महिला स्व सहायता समूह की सदस्य श्रीमती रेखा राजपूत ने बताया कि ओटगन गौठान जब से बना है तब से लगातार गोबर ख़रीदी हो रही है। महिलाओं ने दो लाख रुपए से अधिक की वर्मी कम्पोस्ट बेची है । सब्ज़ी उत्पादन से भी लगभग एक लाख रुपए की आय हुई है। श्रीमती राजपूत बताती है कि गौठान की गतिविधियों से महिलाओं को लगातार निश्चित समय अंतराल पर आय हो रही है । इस से उनका पारिवारिक स्तर तो बढ़ ही रहा है, अपने काम व्यवसाय को भी बढ़ाने की ललक भी बढ़ गई है। इस गौठान में मछलीपालन भी किया जा रहा है । पिछले सीजन में डेढ़ लाख रुपए की मछली भी समूह की महिलाओं ने बेची है। मिनी-रीपा के रूप में तेज़ी से विकसित हो रहे ओटगन गौठान ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुनियोजित तरीक़े से आजीविका के साधन निर्मित किए है। इस से समूह की महिलाओं को अभी औसतन साढ़े पाँच हज़ार रुपए महीने की आय हो रही है।

Editor in chief | Website | + posts
Back to top button
error: Content is protected !!