कोरबा,ट्रैक सिटी न्यूज़। इस्लाम के आखिरी नबी की 18वीं पीढ़ी की संतान सैयदी हाशिमुद्दीन अल गिलानी अल बगदादी दो दिन के प्रवास पर कोरबा पहुंचे। यहां कई समाज के लोगों ने उनका जोशीला स्वागत किया। सैयदी हाशिमुद्दीन हैदराबाद से आने वाले नियमित विमान से रायपुर पहुंचे थे, रायपुर पहुंचने के बाद उनका काफिला सड़क मार्ग से कोरबा पहुंचा। जैसे ही उनका आगमन कोरबा में हुआ, समाज के लोग उन्हें देखने और मिलने उमड़ पड़े। भीड़ इतनी थी कि घंटो तक सडक जाम रहा। लोगों ने सैयदी के आगमन पर खुशी जाहिर करते फूल बरसाए। सैयदी हाशिमुद्दीन दूरपा रोड ईदगाह भी गए।
सूफी संत सैयदी हाशिमुद्दीन अल गिलानी अल बगदादी के बयान को हिंदी में अनुवाद किया गया। उन्होंने कहा कि मैं गौसे के आजम के खानदान से हूं, जो महान सूफी संत थे। पूरी दुनिया में सूफीवाद की एक बड़ी हस्ती के रूप में जाना जाता है। आज गौसे आजम को मानने वालो के बीच आकर बहुत खुशी महसूस हुई। उन्होंने कहा कि असल जिंदगी तो आखिरत की जिंदगी ही है, ये जिंदगी तो बस कुछ वक्त की ही है, इसलिए अपने आखिरत के लिए मेहनत करें। उन्होंने आगे कहा कि कोरबा आकर बहुत खुशी हुई।
उन्होंने आगे कहा कि कयामत के दिन अल्लाह आपसे ये नहीं पूछेगा कि दूसरों ने क्या किया, वो ये पूछेगा की आपने क्या किया? क़ुरआन में है कि परेशान हो तो अपने नबी के तरीके पर चलो। हमारा भारत से 1,000 साल से भी ज्यादा पुराना रिश्ता है।
बता दें कि सैयदी हाशिमुद्दीन अमन व मोहब्बत के पैगाम के लिए दुनियाभर में जाने जाते है। शहर में उनकी अगवानी के लिए जनसैलाब उमड़ता देखा गया।