जांजगीर-चाम्पा /दोनों पैरों से निःशक्त ग्रामीण युवक संतोष साहू आज जीवन की नई दिशा की ओर चल पड़ा है। कल तक उसे घर से बाहर की दुनिया को देखने कही आने जाने के लिए बार-बार सोचना पड़ता था, उसे अपनी सहायता के लिये कुछ लोगों पर आस लगाकर रखनी पड़ती थी। संतोष लाचार और बेबस था। उसे भी बाहर घूमने फिरने और काम कर अपने खर्च के लिए दो पैसे कमाने की इच्छा तो होती थी, लेकिन समय पर उसकी इच्छा पूरी हो पाये ऐसा संभव नही हो पाता था। जब कोई साथ दे देता या अपने साथ बाहर लेकर जाता तभी वह घूम फिर पाता था। एक दिन संतोष को शासन द्वारा दिव्यांगों को मोटराइज्ड ट्राइसिकल दिये जाने की योजना की जानकारी लगी, उसने समाज कल्याण विभाग के माध्यम से आवेदन दिया। आवेदन की जांच के बाद संतोष को मोटराइज्ड ट्रायसिकल मिल गया। बैटरी से चलने वाली इस मोटराइज्ड ट्रायसिकल ने संतोष की मानों दुनिया ही बदल दी। घर से बाहर घूमने फिरने से लेकर अपना जरूरी काम निपटाने में मोटराइज्ड ट्रायसिकल एक बड़ा मददगार साबित हुआ है। संतोष ने एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान में काम करना भी शुरू कर दिया। अब उन्हें किसी अन्य व्यक्ति का राह नही देखना पड़ता। समय पर दुकान जाने से लेकर, जब कभी बाहर घूमने का मन करता है मोटराइज्ड ट्रायसिकल निकाल कर घूम आता है। इस तरह से उसका कठिन सफर अब आसान हो गया है।
जांजगीर-चाम्पा जिले के नवागढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम भड़ेसर निवासी संतोष कुमार साहू ने बताया कि वह बचपन से ही दोनों पैर से निःशक्त है। दिव्यांग होने की वजह से उसे बाहर आने जाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। उसने बताया कि गरीबी की वजह से मोटराइज्ड ट्रायसिकल नहीं ले पाये। कुछ समय तक हाथ से चलाने वाला ट्रायसिकल में चलता था, लेकिन इससे केवल कुछ दूर ही चल पाता था क्योंकि इसे चलाने पर हाथों में दर्द भी होता था। संतोष ने बताया कि मोटराइज्ड ट्रायसिकल मिलने के बाद उसकी कई समस्याएं दूर हो गई है। वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था, इसलिए दिव्यांगता की परवाह न कर एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान में पंखा, कूलर सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान सुधारने का काम करने लगा। इससे हर माह अपने खर्च के लिए कुछ पैसे जुटा लेता है। संतोष ने शासन द्वारा दिव्यांगों को निःशुल्क में प्रदान किये जा रहे मोटराइज्ड ट्रायसिकल की सराहना करते हुये कहा कि शासन ने उसकी जिंदगी के कठिन सफर को बहुत आसान बना दिया है। इससे उसके आत्मनिर्भर बनने की राह भी आसान हुई है।