Korba

उपासना का पावन महापर्व छठ की तैयारियाँ जोरों पर,प्रशासन व स्थानीय नागरिकों की बढ़ी सतर्कता।

कोरबा (ट्रैक सिटी)/ उपासना का पावन महापर्व छठ इस वर्ष शनिवार, 25 अक्टूबर से शुरुआत हो रहा है, और शहर के विभिन्न घाटों तथा जलाशयों में पूजा-उपासना की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इस चार-दिवसीय पर्व के तीसरे व चौथे दिन यानी देर शाम एवं प्रातः काल घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस अवसर पर विशेष रूप से नदी-तालाब, नालों व नहरों के किनारे पूजा को लेकर प्रशासन व स्थानीय नागरिकों ने सतर्कता बढ़ा दी है।

नगर निगम, घाट क्षेत्र के पार्षदों एवं पूर्वांचल से आए श्रद्धालुओं ने मिलकर घाटों की साफ-सफाई, पानी की गंदगी हटाने, सीढ़ियों तथा किनारों का व्यवस्थित चिन्हांकन आदि कार्य शुरू कर दिए हैं। कोरबा शहर के एक घाट, डेंगूरनाला घाट, का निरीक्षण करते हुए महापौर संजू देवी ने कहा कि “घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्था और सुरक्षा अत्यावश्यक है।”

हालाँकि प्रमुख घाटों में प्रबंधन को लेकर सतर्कता दिख रही है, लेकिन उपनगरीय एवं बाहरी क्षेत्रों में अब भी कुछ घाट ऐसे हैं, जहाँ पूजा-उपासना के लिहाज से पर्याप्त संरचना एवं सुरक्षा नहीं मिल पा रही है। त्यौहार की भीड़ बढ़ने से पहले ऐसे घाटों पर विशेष दृष्टि रखने की जरूरत है, ताकि किसी प्रकार की विघ्न अथवा दुर्घटना न हो सके।

पर्व के प्रारंभ से देखते हुए, नगर निगम के सफाई दलों एवं स्थानीय सामाजिक संस्थाओं ने निम्न-प्रमुख तैयारियाँ की हैं:

घाट किनारे जल-स्रोतों में जमा गंदा पानी हटाना एवं जल प्रवाह सुगम बनाना।

किनारों की सीढ़ियों व प्लेटफॉर्म को चिन्हित कर सुरक्षित रूप से उपयोग योग्य बनाना।

घाटों पर स्थान चिन्हित करना ताकि पूजा-उपासना के समय भीड़ व्यवस्थित रूप से व्यस्त हो सके तथा अतिक्रमण रोक हो सके।

स्थानीय बस्तियों व मार्गों में प्रकाश व ट्रैफिक व्यवस्था सुनिश्चित करना।

इस दौरान महानगर में श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे उपलब्ध सुरक्षित घाटों का ही चयन करें और भीड़ वाली स्थिति में अतिरिक्त सावधानी बरतें। पर्व की भव्यता व आस्था को ध्यान में रखते हुए, किन्हीं असुरक्षित घाटों पर पूजा करने से बेहतर है कि पर्यावरण-अनुकूल तथा प्रशासन द्वारा चिन्हित घाटों को ही इस्तेमाल किया जाए।

पर्व के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए, यह भी बताया गया है कि छठ पूजा के पहले दिन का श्राद्ध-स्नान (नहाय-खाय) और तीसरे-चौथे दिन का अर्घ्य समय विशेष होते हैं। इसी तरह, घाटों पर श्रद्धालुओं की संख्या, सामाजिक-सुरक्षा व्यवस्था व स्वच्छता को मिलाकर व्यवस्थापन लगातार समीक्षा में है।

कोरबा जिला अपने औद्योगिक स्वरूप के बावजूद धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहा है। कोरबा की सामाजिक व्यवस्था व जल-श्रोतों की सापेक्षता इस पर्व के आयोजन हेतु अनुकूल मानी जाती है।

इस पावन आयोजन को देखते हुए, सभी पक्षों से यह अपेक्षा की जा रही है कि श्रद्धालु बिना बाधा के पूजा-उपासना कर सकें और घाटों पर सामाजिक व धार्मिक माहौल शांति एवं सुव्यवस्था के साथ बना रहे। हम उम्मीद करते हैं कि इस बार छठ पूजा की ऊर्जा उज्जवल हो और कोरबा के घाटों पर आस्था-समर्पण का उत्सव सुरक्षित एवं सुचारु रूप से सम्पन्न हो।

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