कोरबा

भगवान निर्मल एवं स्वच्छ मन वाले को ही प्राप्त होते हैं, अधर्म के नाश के लिए भगवान लेते अवतार -: अतुल कृष्ण भारद्वाज

कोरबा/ ट्रैक सिटी न्यूज़।कोरबा शहर के ह्रदय स्थल में स्थित पीली कोठी में गोयल परिवार पताडी- तिलकेजा वाले द्वारा श्री रामकथा का आयोजन कराया जा रहा है। कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास परमपूज्य श्रीअतुल कृष्ण भारद्वाज जी “महाराज” द्वारा भगवान  राम के जन्म की महिमा का वर्णन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे।
कथा वाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज “महाराज” ने कहा की जब-जब धरती पर अधर्म का बोलबाला होता है, तब-तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। जिससे असुरों का नाश होता है, और अधर्म पर धर्म की विजय होती है। उन्होंने कहा कि भगवान चारों दिशाओं के कण-कण में विद्यमान है। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन की भक्ति ही है। त्रेता युग में जब असुरों की शक्ति बढ़ने लगी तो माता कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ। उक्त व्याख्यान मानस मर्मज्ञ परम पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने राम कथा में श्री रामचन्द्र जी भगवान के जन्म के समय दिया। उन्होनें कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त है, प्रेम से पुकारने व सच्चे मन से सुमिरन करने पर कहीं भी प्रकट हो सकते हैं। इसलिए कहा गया है हरि व्यापक सर्वत्र समाना। आगे व्यास जी ने कहा निरगुण से सगुण भगवान सदैव भक्त के प्रेम के वशीभूत रहते हैं,
भक्तों के भाव पर सगुण रूप लेते हैं।
जब-जब होये धर्म की हानि, बढ़ाई असुर अधर्म अभिमानी, तब-तब प्रभु धरि विविध शरीरा। धर्म व सम्प्रदाय में अन्तर को समझाते हुए श्री भारद्वाज जी ने बताया कि धर्म व्यक्ति के अन्दर एकजुटता का भाव पैदा करता है वहीं सम्प्रदाय व्यक्ति को बाहरी रूप से एक बनाता है। मानव को एकजुटता की व्याख्या करते हुए श्री व्यास जी ने कहा है कि एक पुस्तक एक पूजा स्थल एक पैगम्बर एक पूजा पद्धति ही व्यक्ति को सीमित व संकुचित बनाती है जबकि ईश्वर के विभिन्न रूपों को विभिन्न माध्यमों से स्मरण करना मात्र सनातन धर्म ही सिखाता है । ईश्वर व पैगम्बर में अन्तर को बताते हुए कहा कि
ईश्वर के अवतार से असुरों का नाश होता है। अधर्म पर धर्म की विजय होती है। यह अद्भुत कार्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण ने अयोध्या व मथुरा की धरती पर अवतार लेकर दिखाया। दोनों ने असुरों का नरसंघार करके धर्म की रक्षा की। श्री व्यास जी ने देश की युवा पीढी पर घोर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज का युवा पाश्चात्य सभ्यता के भंवर में फंसा हुआ है। उसे राम कृष्ण सीता के साथ भारतीय सभ्यता से मतलब नहीं है। उन्होंने माताओं से आग्रह कि यदि माताएं चाहें तो युवा पाश्चात्य सभ्यता से अलग हो सकता है। सभी माताओं से आग्रह किया कि गर्भवती माताओं के चिन्तन मनन खान-पान पठन पाठन रहन सहन का बच्चे पर अत्यन्त प्रभाव पड़ता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान माताओं को भगवान का सुमिरन
करना चाहिए। साथ ही साथ सात्विक भोजन व चिन्तन आदि करना चाहिए भगवान राम के जन्म की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान के जन्म के पूर्व विष्णु के द्वारपाल जय-विजय को राक्षस बनने का श्राप मनु और सतरूपा के तप से भगवान ने राजा दशरथ व रानी कौशल्ला के घर जन्म लिया जिससे समस्त अयोध्यावासी प्रसन्न हो उठे। भगवान राम के जन्म की व्याख्या के दौरान जैसे ही कथा
व्यास ने भजन गाया वैसे ही श्रोता झूम उठे मानो सचमुच पंडाल में भगवान का जन्म हुआ हो। इस दौरान पूरा पाण्डाल राम-मय हो गया और पूरे पण्डाल में पुष्पों भी वर्षा हुई ।आज की कथा के दौरान आयोजक गोयल परिवार के सदस्य सहित बड़ी संख्या में  शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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