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छत्तीसगढ़ राज कोष सुदृढ़ नहीं तो मंत्री विधायकों का वेतन एवं भत्ते में बेतहाशा वृद्धि क्यों…?

डी ए एवं एच आर ए कर्मचारियों का मौलिक अधिकार, इसका हनन- सरकार की तानाशाही - ओम प्रकाश बघेल

 

कोरबा / छत्तीसगढ़ राज्य में कार्यरत कर्मचारी अधिकारियों का पिछले 28 महीने से महंगाई भत्ते को लंबित रखा जाना तथा वर्तमान वेतन में गृह भाड़ा भत्ता को यह कह कर कि छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति संकट ग्रस्त है रोका जाना कर्मचारी अधिकारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है, और यह हनन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के प्रतिकूल है जो बहुत बड़ी गुनाह है, और यह गुनाह सरकार के द्वारा लगातार किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश बघेल ने बताया कि सरकार के कथन के अनुरूप छत्तीसगढ़ में राजकोषीय संकट होने के फलस्वरूप भी 14 जुलाई 2022 को हुई कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रति मंत्री एवं विधायकों का 50 से 70 हजार तक वेतन एवं भत्तों का इजाफा किया जाना राजकोषिय संकट का कारण प्रतीत नहीं होता। छत्तीसगढ़ में आर्थिक संकट जैसी वक्तव्य से सरकार के प्रतिनिधियों को बचना चाहिए, माना कि यदि आर्थिक संकट है भी तो केवल छत्तीसगढ़ में कार्यरत कर्मचारी अधिकारियों के लिए ही क्यों..? जो सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भागीदारी निभाते हुए प्रदेश मे महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, सरकार को इन गंभीर विषय पर चिंतन करने की आवश्यकता है।

कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश बघेल ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में जो भी सरकार कर्मचारी अधिकारियों की हक एवं मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज करते हुए भावनाओं को आहत एवं अस्मिता पर कुठाराघात किया है, कर्मचारी सरकार का पतन के कारण बने हैं। सरकार के सलाहकारों को इस पर गंभीरता से संज्ञान लेनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ की सरकार से कर्मचारी अधिकारी अपने हक एवं अधिकार मांग रहे हैं कोई खैरात नहीं,देश के उन राजकोषीय संकट से जूझ रहे अनेक प्रांत केंद्रीय कर्मचारियों के समान अपने राज्य के कर्मचारियों को भी 34% महंगाई भत्ता एवं वर्तमान वेतन में गृह भाड़ा भत्ता प्रदान कर रही है चुँकि छत्तीसगढ़ प्रदेश विभिन्न संसाधनों से लवरेज एवं परिपूर्ण होने के बावजूद भी सरकार आर्थिक संकट का रोना रो रही है जो कि छत्तीसगढ़ प्रदेश वासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

डी ए एवं एचआरए की मांग को सरकार पूर्ण करें अन्यथा 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन होकर रहेगा
कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कार्यरत कर्मचारी अधिकारियों की 2 सूत्रीय प्रमुख मांग केंद्रीय कर्मचारियों के समान देय तिथि से 34% महंगाई भत्ता एवं सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता देने सरकार 22 अगस्त के पूर्व घोषणा करे अन्यथा छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले छत्तीसगढ़ में कार्यरत पौने 500000 कर्मचारी अधिकारी 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन में जा रहे हैं, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न होने की स्थिति में संपूर्ण जवाबदारी छत्तीसगढ़ सरकार की होगी। कर्मचारी अधिकारियों का हड़ताल मे चले जाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी जो सरकार के लिए सहज नहीं होगा ।

कर्मचारी अधिकारियों को अनिश्चितकालीन आंदोलन में शामिल होने की गई अपील
प्रदेश में कार्यरत कर्मचारी अधिकारियों से छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले 22 अगस्त को होने वाले अनिश्चितकालीन हड़ताल में शामिल होने अपील की गई है ओम प्रकाश बघेल ने कर्मचारी अधिकारियों से कहा कि परिणाम प्राप्त करने के लिए समर्पण एवं त्याग की आवश्यकता होती है और यह त्याग कर्मचारियों के लिए वेतन कटौती, अनिवार्य सेवा, निलंबन बर्खास्तगी जैसे कार्यवाही के रूप में हो सकता है इससे हमें कतई घबराने की आवश्यकता नहीं है, कर्मचारी हितों का संरक्षण संघ संगठन का नैतिक दायित्व होता है कि किसी भी कर्मचारी अधिकारी का अहित नही होगा ।

चुँकि ऐसी कार्यवाही कर्मचारियों के लिए सरकार की गीदड़ भभकी की तरह होता है जिसको अमल में ला पाना सरकार के लिए भी आसान नही होता ।
अतः सभी कर्मचारी अधिकारी साथियों से आग्रह है कि आप 22 अगस्त से होने वाली अनिश्चितकालीन आंदोलन में शामिल होने मनोयोग से तैयार रहें।

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