बलरामपुर/रामानुगंज

जिले में लगातार मलेरिया के रोगियों में आ रही कमी।

मलेरिया मुक्त जिला घोषित होने की दिशा में बढ़ रहा है।

बलरामपुर-रामानुजगंज(ट्रैक सिटी) /  25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस है, जिला बलरामपुर-रामानुजगंज के लिये अच्छी बात यह है कि लगातार मलेरिया के मरीज कम हो रहे है। मलेरिया टेस्ट के बढ़ाये जाने के बाद भी मलेरिया के मरीजों की संख्या कम ही निकल रही है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बसंत कुमार सिंह ने बताया की विगत 05 वर्षों में जिले में निरंतर मलेरिया के मरीजों में कमी आई है, जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में मलेरिया का इलाज बिलकुल मुफ्त है साथ ही मच्छरों से बचने हेतु लोगों को दवा उपचारित मच्छरदानी का वितरण किया गया है। समय-समय पर डी.डी.टी. दवा का छिडकाव भी किया जाता है। मलेरिया के प्रति जन जागरूकता हेतु समाचार पत्र, दीवार लेखन व गृह भ्रमण में लोगों को मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया हेतु सचेत भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया की कलेक्टर श्री रिमिजियुस एक्का की निर्देशन में जिले में मच्छर जनित रोगों की समीक्षा बैठक भी ली जाती है। इस हेतु जिला टास्क फोर्स का भी गठन किया है। जिले में जहां वर्ष 2017 में कुल 11008 मलेरिया के रोगी थे व जिले का एपीआई 13.5 था वहीं वर्ष 2023 में कुल 31 मलेरिया रोगी थे व एपीआई 0.03 था, जिले में लगातार मलेरिया के रोगियों में कमी आई है।

डॉ. सुबोध सिंह जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जिले में विगत वर्षों में मलेरिया रोग की कमी का मुख्य कारण जन जागरूकता व मच्छरदानी का उपयोग से रोग में कमी आई है एवं मितानिन द्वारा समुदाय में मलेरिया बीमारी के प्रति सचेतन ने भी जागरूकता बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है जिसके लिए साफ-सफाई को लेकर गंभीर होने की आवश्यकता है, क्योंकि बरसात को 02 माह ही बचे है, जो कि मच्छरों के लिए प्रतिकूल परिस्थिति निर्माण करता है जहां भी पानी रुकता या ठहरता है वहां मच्छर पनपते है, ऐसे जगह को या तो पाट देना चाहिए या रुके हुए पानी को बहा देना चाहिए। जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री स्मृति एक्का ने बताया कि जिले में मलेरिया मरीजों की संख्या राष्ट्रीय स्तर के औसत पैमाने से भी कम है और निरंतर राज्य स्तर एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की नजर भी जिले पर बनी रहती है। वर्ष 2024 विगत 03 माह में अभी तक एक भी मलेरिया के मरीज नहीं मिले है, जो की मलेरिया मुक्त जिला घोषित करने के दिशा में पहला कदम दिखाई दे रहा है। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण स्तर तक मितानिन के माध्यम से मरीजों की जांच करना तथा मरीजों से सम्बन्धित जानकारी स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचाने का कार्य करवाया जा रहा है।

*पानी जमाव मलेरिया बढ़ाव*

पानी का एक जगह पर जमा होने से गन्दगी बढती है जिससे मच्छर पैदा होते हैं, मच्छरों के श्रोत को नियंत्रित करने सभी विकासखण्ड में श्रोत नियंत्रण गतिविधि भी किया जाता है एवं जिले में मितानिन व अन्य माध्यम से नारा लेखन का कार्य भी किया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने गावों में ‘‘पानी जहाँ ठहरेगा, मच्छर वहाँ पनपेगा’’ का स्लोगन भी लिखवाया जा रहा है व कैसे समस्या से निदान हो इसके लिए जागरूकता कार्य भी किया जा रहा है।

 

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